मोदी सरकार की योजना एक साल के अंदर जीपीएस बेस्ट टोल कलेक्शन की योजना है। 18 मार्च को लोकसभा में केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नीतीन गडकरी ने इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि 93 प्रतिशत लोगों ने फास्टैग को अपना लिया है। बाकी सात फीसदी लोगों ने इसे नहीं चुना है।
15 फरवरी से फास्टैग को अनिवार्य बना दिया गया है।
जिस व्हीकल में फास्टैग (Fastag) नहीं होगा, उससे दोगुना चार्ज लेने का प्रावधान है।
सरकार का कहना है कि वह कैश की जगह डिजीटल मॉड पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए इसे लेकर आई है। टोल प्लाजा पर वेटिंग टाइम कम होगा। ट्रैफिक स्मूथ होगा।
फास्टैग स्टिकर स्कैम
23 मार्च 2021 : राजस्थान के जोधपुर-जैसलमेर मार्ग पर RJ-19PA-8611 नंबर की बस पर बोलेरो (RJ-19 UB-4973) का नंबर चिपका हुआ पाया गया। तीन टोल प्लाजा यह बस पार कर गई। इस राजमार्ग पर आने और जाने में 900 रुपये चार्ज किए जाते हैं। बोलेरो का टैग लगाने से इसे महज 270 रु. देने पड़े। टोल पर सिर्फ यह चेक किया गया कि फास्टैग (Fastag) एक्टिव है या नहीं। एक्टिव होने पर सिस्टम उसे ओके कर देता है। बाद में जब यह चेक किया गया कि कलेक्शन सामान्य से कम है, तब जाकर इस स्कैम को पकड़ा गया।
26 जनवरी 2021 : कर्नाटक के मंगलुरु में फास्टैग (Fastag) वितरण में घोटाला सामने आया है। यहां पर बैंकों और ई-सर्विस कंपनी को टैग बांटने का जिम्मा दिया गया था। ट्रक वालों ने इसका पूरा फायदा उठाया। उनका जितना टैक्स बनता है, उतना देना नहीं पड़ता था। स्थिति ऐसी आ गई कि इस मार्ग पर फास्टैग के जरिए कलेक्शन का काम स्थगित करना पड़ गया।
जनवरी 2020 : एलएमवी (लाइट मोटर व्हीकल) के नाम पर हासिल की गई फास्टैग (Fastag) के जरिए एमएवी और एलसीवी गाड़ी को पास करवाया जा रहा है। कर्नाटक के तालापाडी, सास्टन और हेजमडी टोल प्लाजा पर ऐसे बहुत से केस पाए गए. टोल पर फास्टैग (Fastag) रजिस्ट्रेशन चेक नहीं होता है, इसकी वजह से वे लोग फायदा उठाने लगे।
सरकार ने क्यों अपनाई यह प्रक्रिया
इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने फास्टैग (Fastag) की प्रक्रिया अपनाई है लेकिन इसके नाम पर तरह-तरह के फ्रॉड के मामले सामने आने लगे हैं। कुछ लोगों ने शिकायत की है कि उनके नाम से पैसे कट जा रहे हैं. ऐसा लगता है कि ऑनलाइन फ्रॉड का यह मामला बनता जा रहा है।
हरियाणा के मानेसर टोल प्लाजा से 17 फरवरी 2020 को ऐसी पहली शिकायत आई थी। उसके बाद बेंगलुरु में एक व्यक्ति ने 50 हजार रुपये कटने की शिकायत की। उसने अपनी शिकायत में कहा था कि एक्सिस बैंक के किसी अधिकारी के नाम पर उसके पास कॉल आया था। फास्ट टैग वालेट जारी करने के नाम पर ऑनलाइन फॉर्म भरवा गया और उसके पैसे गायब हो गए।
ऑनलाइन फ्रॉड से कैसे बचें
फास्ट (Fastag) कैग की बिक्री को लेकर सरकार ने दिशानिर्देश और सलाह जारी किए गए हैं। कई जगहों पर एनचएआई और आईएचएमसीएल जैसे दिखने वाले फर्जी फास्टैग बेचे जा रहे हैं। सरकार ने इससे सावधान रहने को कहा है। एनएचएआई ने कहा कि उसे आईएचएमसीएल.को.इन (ihmcl.co.in) या फिर माइफास्टैग एप से के जरिए ही इसकी खरीददारी करनी चाहिए। अधिकृत बैंक और अधिकृत सेल एजेंट के जरिए भी खरीद सकते हैं। पूरी जानकारी आईएचएमसीएल.को.इन पर उपलब्ध है।
एनएचएआई ने 1033 हेल्प नंबर जारी किया है।