रविवार के दिन भगवान सूर्य (Surya) की उपासना की जाती है। सुबह-सुबह उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। कहा जाता है कि अगर कोई सच्चे मन से सूर्य देवता की पूजा करे तो वो भक्त की सारी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं। इसके साथ ही वो भक्त के जीवन से सभी संकट को दूर कर देते हैं। भगवान सूर्य (Surya) की पूजा का फल तभी मिलता है जब वो पूरे विधि विधान से की जाए। सूर्य देवता को अर्घ्य देने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है।
इन नियमों का करें पालन
- सूर्योदय से पहले स्नान करें।
- स्नान करने के बाद तीन बार सूर्य देवता को अर्घ्य दें।
- शाम को एक बार फिर से सूर्य भगवान को अर्घ्य दें।
- द्धापूर्वक भक्त सूर्य मंत्रों का जाप करें।
- आदित्य ह्रदय का नियमित रूप से पाठ करें।
- विवार को नमक, तेल खाने से परहेज करें।
- हो सके तो रविवार के दिन एक बार फलाहार करें।
सूर्य (Surya) के मंत्रों का करें जाप
भगवान सूर्य के मंत्रों का जाप करने का सही समय सूर्योदय है। इन मंत्रों को अलग-अलग 12 मुद्राओं के साथ जपा जा सकता है। सूर्य मंत्र का जाप करते समय अर्घ्य देना और भी शुभ फलदायी होता है। इससे सेहत को लाभ होता है। साथ ही रोजाना सूर्य मंत्रों का उच्चारण करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है।
ऊं मित्राय नम:
ऊं रवये नम:
ऊं सूर्याय नम:
ऊं भानवे नम:
ऐसे दें सूर्य (Surya) देवता को अर्घ्य
- अर्घ्य देते वक्त सीधे सूर्यदेव को न देखें।
- गंगाजल, कुमकुम, चावल और गुड़ के साथ मिश्रित तांबे के लोटे से अर्घ्य अर्पित करें।
- र्घ्य देते वक्त मंत्रों का जाप करें।
- जल प्रवाह में सूर्य की किरणों को देखें।
- मंत्र जाप करते समय सूर्य भगवान को 7 बार अर्घ्य दें।
- अर्घ्य देने के बाद भगवान सूर्य से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगें।
- सूर्य देवता से स्वास्थ्य, धन और समृद्धि के साथ आशीर्वाद देने के लिए प्रार्थना करें।
- शक्तिशाली दृष्टि और गौरवान्वित होने की प्रार्थना करें।