मुंबई। बॉम्बे उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA ) के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन करने वालों पर बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि उन्हें केवल इसलिए गद्दार या देशद्रोही नहीं कहा जा सकता, क्योंकि वह एक कानून का विरोध कर रहे हैं। अदालत ने यह टिप्पणी गुरुवार को सीएए के खिलाफ आंदोलन के लिए पुलिस द्वारा अनुमति न दिए जाने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए दी।
पीठ ने कहा कि इस तरह के आंदोलन से CAA के प्रावधानों की अवज्ञा का कोई सवाल ही नहीं
पीठ ने कहा कि इस तरह के आंदोलन से CAA के प्रावधानों की अवज्ञा का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता। इसलिए अदालत से ऐसे व्यक्तियों के शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन शुरू करने के अधिकार पर विचार करने की अपेक्षा की जाती है। यह केवल CAA की वजह से सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का कार्य होगा।
पीठ ने बीड जिले के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) और बीड में मजलगांव शहर पुलिस द्वारा पारित दो आदेशों को रद्द कर दिया। पुलिस ने आंदोलन की इजाजत न देने के लिए एडीएम के आदेश का हवाला दिया था। पीठ ने कहा कि भारत को प्रदर्शन के कारण स्वतंत्रता मिली जो अहिंसक थे और आज की तारीख तक इस देश के लोग अंहिसा का रास्ता अपनाते हैं। हम बहुत भाग्यशाली है कि इस देश के लोग अब भी अहिंसा में विश्वास रखते हैं।
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पीठ ने कहा कि वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता और उनके सहयोगी अपना विरोध जताने के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना चाहते हैं। ब्रिटिश काल में हमारे पूर्वजों ने स्वतंत्रता और मानव अधिकारों के लिए संघर्ष किया। आंदोलन के पीछे की सोच के कारण हमने अपना संविधान बनाया है। यह कहना दुर्भाग्यपूर्ण होगा, लेकिन लोगों को अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की आवश्यकता है। केवल इस आधार पर आंदोलन को दबाया नहीं जा सकता।