लखनऊ। कोरोना से अस्पतालों में गंभीर मरीजों को आ रही दिक्कतों के बाद राज्य मानवाधिकार आयोग (State human rights commission) ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आयोग के सदस्य जस्टिस केपी सिंह और ओपी दीक्षित ने निर्देश दिए हैं कि यूपी सरकार तत्काल सरकारी व निजी अस्पतालों के बाहर नोटिस बोर्ड लगवाए कि वहां कितने बेड खाली और कितने भरे हुए हैं जिससे मरीजों को भर्ती कराना आसान हो। आयोग ने मिल रही शिकायतों के बाद ये दिशा-निर्देश यूपी सरकार को जारी किए हैं।
आयोग ने कहा कि कई सरकारी व निजी अस्पतालों में बेड खाली होने के बाद भी मरीजों को भर्ती न करने की जानकारी मिल रही है। मरीजों को सही जानकारी न होने से भटकना पड़ रहा है। ऐसे में यह जरूरी है कि अस्पतालों के बाहर नोटिस बोर्ड पर बेड की उपलब्धता की नवीनतम जानकारी दी जाए।
आयोग ने मरीजों की भर्ती के लिए जरूरी सीएमओ के रैफरल लेटर की जरूरत को समाप्त (No Need A Letter From CMO To Admit A Patient In A Hospital) कर सीधे अस्पतालों को भर्ती करने का अधिकार देने के निर्देश दिए हैं। साथ ही विशेषज्ञ चिकित्सकों को स्वविवेक से मरीजों को भर्ती करने के निर्देश देने को कहा है। आयोग ने निर्देशों का पालन कर एक सप्ताह में मुख्य सचिव से रिपोर्ट भी मांगी है।