जदयू के पूर्व विधायक मंजीत सिंह 3 3 जुलाई को राजद में शामिल हो सकते हैं, हालांकि जदयू मंजीत सिंह को मनाने का प्रयास कर रही है। मंजीत सिंह के राजद के संपर्क में होने की खबर, नीतीश कुमार ने भी मामले को संभालने के लिए हर संभव प्रयास शुरू कर दी है। मंजीत सिंह को नीतीश कुमार का काफी करीबी माना जाता है, नीतीश ने मंजीत सिंह को मनाने के लिए लेसी सिंह और जय कुमार सिंह को निर्देश दिया।
बैठकों के बाद जदयू की तरफ से दावा किया गया कि मंजीत सिंह पार्टी में ही हैं और उन्हें राजद में नहीं शामिल होने के लिए मना लिया गया है। पार्टी ने कहा कि उनकी शिकायत को सुन लिया गया और उसे दूर कर दिया जाएगा। खबरों के अनुसार मुख्यमंत्री ने भी मंजीत सिंह से पार्टी में ही रहने की अपील की है।
नीतीश कुमार को जानने वाले बताते हैं कि मंजीत सिंह सीएम के काफी करीबी रहे हैं। नीतीश कुमार उन्हें जेडीयू से जाने नहीं देना चाहते हैं। नीतीश ने तुरंत मंजीत सिंह के करीबी नेताओं लेसी सिंह और जय कुमार सिंह को निर्देश दिया कि जल्दी से जल्दी मंजीत से मिलें और उन्हें किसी भी कीमत पर रोकें।
नीतीश कुमार के निर्देश पर मंत्री लेसी सिंह रातों-रात गोपालगंज में बैकुंठपुर में मंजित सिंह के आवास पर पहुंच गईं। वहीं पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह और JDU के वरिष्ठ नेता और मंजीत सिंह के रिश्तेदार राणा रणधीर सिंह भी गोपालगंज पहुंचे और उन्हें नीतीश कुमार का संदेश दिया। साथ ही राजद में शामिल नहीं होने के लिए राजी करने में जुट गए।
दरअसल, मंजीत सिंह की नाराजगी तभी से मानी जाती है जब 2020 के विधानसभा चुनाव में JDU का टिकट उन्हें नहीं मिला और गठबंधन की वजह से बैकुंठपुर की सीट भाजपा के खाते में चली गई। इस पर मिथिलेश तिवारी चुनाव लड़े लेकिन उन्हें हार मिली। भाजपा उम्मीदवार के हार की वजह मंजीत सिंह ही बने जो JDU से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ गए और लगभग 40000 वोट हासिल किए। मंजीत चुनाव तो हार गए लेकिन उनकी वजह से भाजपा उम्मीदवार जीत नहीं पाया।
यह सीट राजद के खाते में चली गई। बावजूद इसके नीतीश कुमार ने मंजीत सिंह पर कोई कार्रवाई नहीं की और उन्हें JDU से अनुशासनहीनता के आरोप में नहीं निकाला गया। ख़बर ये भी आई कि मंजीत सिंह को भरोसा दिलाया गया था कि MLC बनाया जाएगा, लेकिन वो भी नहीं हुआ. इसके बाद से मंजीत सिंह की नाराजगी बढ़ती चली गई।