बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर जातीय गणना कराने पर जोर दिया है, इस बीच नीतीश ने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा। पत्रकारों से चर्चा करते हुए नीतीश ने कहा- जातीय जनगणना कराए जाने की मांग को लेकर बिहार का एक प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से मिलेगा।उन्होंने बताया कि समय मिलने का इंतजार है। उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात होगी।
नीतीश ने यह भी बताया कि जेडीयू के सभी सांसद जातीय जनगणना कराने की मांग को लेकर गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात कर चुके हैं। वहीं, जातीय जनगणना की मांग को लेकर आरजेडी 7 अगस्त को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर धरना और प्रदर्शन करने की घोषणा कर चुकी है।
गौरतलब है कि केंद्र ने हाल ही में संसद को सूचित किया था कि वह केवल अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए एक जनगणना कराने के बारे में सोच रहा है, जिससे बिहार में इसकी जोरदार मांग की गई कि ओबीसी को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए, जिसका राज्य की राजनीति पर काफी प्रभाव है।
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मुख्यमंत्री से जद (यू) के वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुशवाहा द्वारा दिन में पहले की गई एक टिप्पणी के बारे में भी पूछा गया कि “नीतीश कुमार एक प्रधानमंत्री मैटेरियल हैं। ’ कुमार ने कहा, ‘‘मुझे बिना सोचे विचारे की गई टिप्पणियों में कोई दिलचस्पी नहीं है। ” हालांकि उन्होंने उन अटकलों का भी खंडन किया कि पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष कुशवाहा लोकसभा सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से नाराज हैं।
शनिवार को नयी दिल्ली में आयोजित जद(यू) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ललन सिंह पार्टी के शीर्ष पद के लिए चुने गए। उन्होंने आरसीपी सिंह की जगह ली। आर सी पी सिंह ने केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बनने के बाद जद(यू) अध्यक्ष पद छोड़ दिया था. गौरतलब है कि कुमार के पुराने सहयोगी कुशवाहा कुछ महीने पहले जद(यू) में लौट आए और अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का पार्टी में विलय कर दिया।