नई दिल्ली। निर्भया के दोषियों को फांसी की नई तारीख बुधवार को फिर जारी नहीं हुई है। कोर्ट ने इस केस की सुनवाई गुरुवार तक के लिए टाल दी है। इस दौरान कोर्ट में मौजूद निर्भया की मां वहीं रो पड़ीं और जज से दोषियों के नाम डेथ वारंट जारी करने की अपील की।
Delhi: Parents of 2012 gang-rape victim and women rights activist Yogita Bhayana stage demonstration outside Patiala House Court, demanding hanging of convicts. pic.twitter.com/s9xRqExNx4
— ANI (@ANI) February 12, 2020
उन्होंने अदालत से पूछा कि मेरे अधिकारों का क्या होगा? मैं हाथ जोड़कर आपके सामने खड़ी हूं। प्लीज डेथ वारंट जारी कर दीजिए। मैं भी इंसान हूं। सात साल से भी ज्यादा का समय हो चुका है और ये कहते-कहते ही वह अदालत के अंदर रो पड़ीं। सुनवाई टल जाने के बाद नाराज मां अदालत के बाहर प्रदर्शन कर रही हैं और हमें न्याय चाहिए के नारे लगा रही हैं। उनके साथ महिला अधिकारों के लिए कार्य करने वाली योगिता भयाना भी हैं।
Asha Devi, mother of 2012 Delhi gang-rape victim: The judge does not want to fix a date for hanging the convicts and is supporting them. I appeal to the Supreme Court to issue the death warrant as the Patiala House Court is in no mood to issue a fresh death warrant. pic.twitter.com/noP5nfu2yL
— ANI (@ANI) February 12, 2020
निर्भया केस की सुनवाई शुरू हुई तो सरकारी वकील पीपी इरफान अहमद ने कोर्ट में कहा कि सभी दोषियों को नोटिस दे दिए गए हैं। हालांकि इसी बीच दोषियों के वकील एपी सिंह ने पवन का नोटिस स्वीकार करने से मना किया है क्योंकि अब वह पवन का केस नहीं लड़ रहे हैं। इस पर जज ने कहा कि तब तो हमें पवन के लिए दूसरे वकील की व्यवस्था करनी पड़ेगी।
पीपी इरफान ने अदालत को ये भी बताया कि दोषी विनय ने दया याचिका खारिज होने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है जो सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री के पास लंबित है। इसलिए ऐसा लंबन का मामला रिट याचिका का लंबन नहीं कहा जा सकता। पीपी इरफान ने अदालत को ये भी बताया कि पवन ने वकील करने की कोई इच्छा जाहिर नहीं की है।
जज ने वृंदा ग्रोवर से पवन का वकील बनने के लिए कहा तो उन्होंने इस केस को श्रमसाध्य केस बताते हुए इस भूमिका को हाथ में लेने से इनकार कर दिया
इसके बाद जज ने पीपी इरफान से पूछा कि दया याचिका खारिज होने के खिलाफ जो याचिका रजिस्ट्री के पास पेंडिंग है उसमें दोषी को क्या करना है। तब वकील इरफान ने बताया कि यह याचिका दोषी के लिए उपलब्ध कानूनी विकल्पों में शामिल नहीं होती है। तब पीड़ित के वकील जीतेंद्र झा ने अदालत को बताया कि जेल नियम 858 में दोषी की दया याचिका खारिज हो जाने के बाद किसी याचिका को डालने का विकल्प उपलब्ध नहीं है।
इस पर जज ने पवन के पिता को यह आश्वासन दिया कि अदालत उसे वकील मुहैया कराएगी। जज ने वृंदा ग्रोवर से पवन का वकील बनने के लिए कहा तो उन्होंने इस केस को श्रमसाध्य केस बताते हुए इस भूमिका को हाथ में लेने से इनकार कर दिया।
जज ने कहा कि यह एक अर्जेंट केस है और इस तरह की देरी केस में क्यों हो रही है?
पवन के पिता ने अदालत को बताया कि वह कोई सरकारी वकील नहीं है। तब जज ने कहा कि फिर तो आपको प्राइवेट वकील लाना चाहिए था। यह एक अर्जेंट केस है और इस तरह की देरी केस में क्यों हो रही है। मैं इस बात को ध्यान में रखूंगा कि आपको कानूनी सहायता दी गई थी लेकिन आपने इनकार कर दिया।
इस पर वृंदा ग्रोवर ने कोर्ट को बताया कि इस केस में दो ही विकल्प बचे हैं-
1- पैनल के ही किसी वकील की कानूनी मदद दी जाए
2- वो एमिकस जो पैनल में न हो वह कानूनी सहायता दे सकता है
जज ने कहा कि दोषी अपनी आखिरी सांस तक बचने का कर सकता है प्रयास
इस पर जज ने अपने स्टाफ से पैनल के वकीलों की डीएसएलए लिस्ट देने को कहा जो पवन को कानूनी सहायता दे सकते हैं। इसके बाद जज ने सरकारी वकील से भी कहा कि मान लेते हैं कि दोषी केस में देरी करने के तरीके आजमा रहे हैं फिर भी हम इससे डील करने के अलावा क्या कर सकते हैं? जज ने कहा कि दोषी अपनी आखिरी सांस तक बचने का प्रयास कर सकता है।
निर्भया के पिता ने तब अदालत से कहा कि केस के इस मोड़ पर पवन को वकील देना निर्भया के साथ धोखा होगा
जज ने दोषियों के वकील एपी सिंह से ये भी पूछा कि आखिर क्यों वो पवन की बात सुनें जब उसकी कोई याचिका भी कोर्ट में लंबित नहीं है।
निर्भया के पिता ने तब अदालत से कहा कि केस के इस मोड़ पर पवन को वकील देना निर्भया के साथ धोखा होगा। तब जज ने वकील एपी सिंह और वृंदा ग्रोवर से पूछा कि क्या नया डेथ वारंट जारी करना कोर्ट के लिए घाटबंधी है। वृंदा ग्रोवर ने अदालत को बताया कि इस समय कोर्ट के समक्ष कोई याचिका लंबित नहीं है। हालांकि पवन के पास वकील होने ही चाहिए। जज ने यह बात नोट की और कहा कि हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि कल पवन के वकील कल अदालत में क्या बहस करेंगे। हम एक दिन का इंतजार और कर सकते हैं।
सीमा कुशवाहा से जज ने पूछा कि बेवजह डेथ वारंट जारी होने पर कानूनी सहायता सुनिश्चित करने का क्या उद्देश्य है?
पीड़िता की वकील सीमा कुशवाहा से जज ने पूछा कि बेवजह डेथ वारंट जारी होने पर कानूनी सहायता सुनिश्चित करने का क्या उद्देश्य है? इसके बाद अदालत ने मामले को कल दोपहर तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। साथ ही एपी सिंह को यह भी निर्देश दिया कि तुरंत पवन के केस की फाइल नए वकील को उपलब्ध कराएं।
निर्भया की मां रोते हुए अदालत से पूछा कि, मेरे अधिकारों क्या होगा?
जैसे ही अदालत ने इस मामले को स्थगित किया तो निर्भया की मां अंदर से टूट गईं। उन्होंने रोते हुए अदालत से पूछा कि, मेरे अधिकारों क्या होगा? मैं हाथ जोड़कर आपके सामने खड़ी हूं। प्लीज डेथ वारंट जारी कर दीजिए। मैं भी इंसान हूं। सात साल से भी ज्यादा का समय हो चुका है। रोत-रोते उनकी बेहोशी सी हालत हो गई और बेहोशी सी हालत में वह कोर्टरूम से बाहर जाते हुए गुस्से में बोलीं कि, मेरा भरोसा और उम्मीद टूटती जा रही है। कोर्ट को दोषियों के देरी करने की तरकीब को समझना चाहिए। अब अगर पवन को नया वकील दिया जाएगा तो वह केस फाइल करने में अपना टाइम लेगा।
मैं अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए इधर से उधर भटक रही हूं
आशा देवी आगे बोलीं कि मैं अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए इधर से उधर भटक रही हूं। ये दोषी केस में देरी करने के हथकंडे अपना रहे हैं। मुझे समझ नहीं आता कि अदालत को ये बात क्यों समझ में नहीं आ रही है।