नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप केस के आरोपी पवन शर्मा की याचिका खारिज कर दी है। इस याचिका में पवन की तरफ से दावा किया था कि जब रेप की घटना हुई थी। तो वह नाबालिग था मतलब उस दौरान उसकी उम्र 18 साल से कम थी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप केस एवं हत्या मामले के दोषियों में से एक, अक्षय कुमार सिंह की सुधारात्मक याचिका को खारिज कर दी थी।
2012 Delhi gang rape case: Supreme Court dismisses convict Pawan Gupta's petition claiming that he was a juvenile when the offence took place. https://t.co/nab27Etbyc
— ANI (@ANI) January 31, 2020
न्यायमूर्ति एनवी रमण, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने दोषी सिंह की सुधारात्मक याचिका खारिज कर दी है इसके साथ ही, पीठ ने सिंह की वह याचिका भी ठुकरा दी जिसमें उसने एक फरवरी को तय फांसी पर रोक लगाए जाने की मांग की थी।
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इसी बीच तिहाड़ जेल प्रशासन ने निर्भया गैंगरेप के दोषियों को फांसी देने की तैयारी पूरी कर ली है। 1 फरवरी को होने वाली फांसी से पहले जेल अधिकारियों ने शुक्रवार को डमी फांसी दी। गैंगरेप केस के चारों आरोपियों को फांसी देने वाले पवन जल्लाद गुरुवार को ही तिहाड़ जेल पहुंच गए थे, जहां उन्हें जेल नंबर 3 का फांसी घर और रस्सियां दिखाई गई।
कोर्ट ने मौखिक सुनवाई की खारिज की याचिका
पीठ ने कहा कि मौखिक सुनवाई की अर्जी खारिज की जाती है। मौत की सजा पर रोक का आवेदन भी खारिज किया जाता है। उन्होंने कहा कि हमने सुधारात्मक याचिकाएं और संबंधित दस्तावेजों का अध्ययन किया है। 2002 के रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा और अन्य के मामले में इस अदालत के फैसले में इंगित मानकों के तहत कोई मामला नहीं बनता है। इसलिए सुधारात्मक याचिकाओं को खारिज किया जाता है।