नई दिल्ली। निर्भया केस के दोषी अक्षय कुमार सिंह ने तीन मार्च को होने वाली फांसी को टालने के लिए एक नया पैंतरा चला है। हालांकि अक्षय के सभी कानूनी विकल्प खत्म हो चुके हैं, लेकिन उसने दोबारा एक दया याचिका दायर की है।
वकील का दावा है कि पिछली दया याचिका अक्षय के माता-पिता ने डाली थी जिसके पेपर पूरे नहीं थे
बता दें कि अक्षय पहले भी एक बार दया याचिका डाल चुका है जिसे राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया था। उसने ये याचिका दोबारा इसलिए डाली है क्योंकि उसके वकील का दावा है कि पिछली दया याचिका अक्षय के माता-पिता ने डाली थी जिसके पेपर पूरे नहीं थे। अधूरी दया याचिका होने के कारण राष्ट्रपति केस के सभी पहलुओं से वाकिफ नहीं हो पाए थे। इसलिए दोबारा दया याचिका दायर की गई है। यह सारी बातें अक्षय के वकील एपी सिंह ने एक सुनवाई के दौरान कही थी। अब देखना है कि इस दया याचिका पर राष्ट्रपति क्या फैसला देते हैं।
2012 Delhi gangrape case: One of the convicts, Akshay has moved mercy petition claiming that his earlier petition that was dismissed did not have all the facts. pic.twitter.com/RArzA5mUjZ
— ANI (@ANI) February 29, 2020
दोषियों के वकील कानून के इन्हीं प्रावधानों का इस्तेमाल कर अब तक दो बार टलवा चुके हैं फांसी
माना जा रहा है कि फांसी की तारीख नजदीक आते ही दोषियों का इस तरह अपने कानूनी विकल्पों को इस्तेमाल करना फांसी में देरी करने की एक तरकीब है। दोषियों के वकील कानून के इन्हीं प्रावधानों का इस्तेमाल कर अब तक दो बार फांसी टलवा चुके हैं। पहली बार दोषियों को फांसी 22 जनवरी को होनी थी जिसे बाद में टालकर एक फरवरी कर दिया गया था। दोनों बार फांसी टलने के बाद तीसरा डेथ वारंट तीन मार्च का जारी किया गया, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि ये तारीख भी टल जाएगी।
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वकील एपी सिंह ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि राष्ट्रपति ने दोषी ठाकुर की “अधूरी दया याचिका” को अस्वीकार करके “न्याय का पूर्ण गर्भपात” कराया था। मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से, मैंने सुना है कि अक्षय ठाकुर की ओर से दया याचिका भारत के राष्ट्रपति द्वारा खारिज कर दी गई थी। इस संबंध में, मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि 31 जनवरी को राष्ट्रपति द्वारा एक अधूरी दया याचिका दायर की गई थी।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने 5 फरवरी को दोषी ठाकुर की दया याचिका को खारिज कर दिया
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने 5 फरवरी को दोषी ठाकुर की दया याचिका को खारिज कर दिया था। अब तक विनय शर्मा और मुकेश सिंह की दया याचिका भी खारिज कर दी गई है। इस बीच, इस मामले में एक अन्य दोषी, पवन गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक उपचारात्मक याचिका दायर कर अपनी मौत की सजा को उम्रकैद की सजा की मांग की है।
यह तब होता है जब दोषियों के लिए एक ताजा मृत्यु वारंट जारी किया गया है विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर, पवन गुप्ता और मुकेश सिंह को 3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी दी जानी है। यह मामला 16 दिसंबर, 2012 की रात को दिल्ली में एक किशोर सहित छह लोगों द्वारा चलती बस में 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या करने से संबंधित था। महिला की कुछ दिनों बाद सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई थी।