नई दिल्ली। निर्भया दुष्कर्म मामले के दोषियों मुकेश और विनय शर्मा की दया याचिका खारिज होने के बाद राष्ट्रपति ने बुधवार को तीसरे दोषी अक्षय ठाकुर की भी दया याचिका खारिज कर दी है।
President Ram Nath Kovind has rejected mercy petition of Akshay Thakur, one of the convicts in 2012 Delhi gang rape case. pic.twitter.com/LzQQbtS36Y
— ANI (@ANI) February 5, 2020
बता दें कि राष्ट्रपति ने मुकेश, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर की दया याचिका खारिज कर दी है। जबकि अब तक चौथे दोषी पवन गुप्ता ने दया याचिका दायर नहीं की है।
निर्भया के दोषियों की फांसी पर दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अब केंद्र और दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
बता दें कि निर्भया के दोषियों की फांसी पर दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अब केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सरकार ने हाईकोर्ट में दोषियों की फांसी पर रोक के निर्णय को चुनौती दी थी। जिसमें बुधवार को फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले को रद्द करने से इनकार कर दिया। इसके बाद केंद्र और दिल्ली सरकार(उपराज्यपाल के माध्यम से) ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव एप्लीकेशन(एसएलपी) डालते हुए दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की अपील की है।
इस याचिका में कहा गया है कि जिन दोषियों के सभी कानूनी विकल्प खत्म हो चुके हैं उनकी फांसी में देरी नहीं होनी चाहिए। बता दें कि आज दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी दोषियों को अपने कानूनी विकल्प इस्तेमाल करने के लिए अंतिम सात दिन दिए हैं। इसके बाद कानूनी रूप से जो प्रक्रिया होती है उसका पालन किया जाएगा।
आज अदालत में क्या-क्या हुआ?
- जस्टिस कैत ने कहा कि गृहमंत्रालय यह याचिका डालने के लिए सक्षम है। दिल्ली कैदी नियम 834 और 836 में दया याचिका के बारे में नहीं लिखा है।
- जस्टिस कैत ने कहा कि मैं ट्रायल कोर्ट की राय से सहमत नहीं हूं कि कारागार नियमों में ‘आवेदन’ शब्द एक सामान्य शब्द है जिसमें दया याचिका भी शामिल होगी।
- जस्टिस कैत ने आगे कहा कि सभी दोषी बर्बरता से दुष्कर्म और हत्या करने के दोषी पाए गए हैं जिसने समाज को झकझोर कर रख दिया था।
- ये बात कम से कम यह विचार करने के लिए प्रासंगिक है कि क्या मौत की सजा के निष्पादन में देरी दोषियों की देरी की रणनीति के कारण होती है।
- जस्टिस कैत आगे बोले कि मुझे यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि सभी दोषियों ने पुनर्विचार याचिका दायर करने में 150 दिन से भी ज्यादा का समय लिया। अक्षय ने तो 900 दिन से भी ज्यादा समय के बाद अपनी पुनर्विचार याचिका दाखिल की।
- सभी दोषी अनुच्छेद 21 का सहारा ले रहे हैं जो उन्हें आखिरी सांस तक सुरक्षा प्रदान करता है।
- सुप्रीम कोर्ट में भी दोषियों के भाग्य का फैसला उसी आदेश से किया गया है। मेरी राय है कि उनके सभी डेथ वारंट को एक साथ निष्पादित किया जाना है।
- जस्टिस कैत ने आगे कहा कि दोषियों ने सजा में देरी करने की रणनीति अपनाई है। इसलिए मैं सभी दोषियों को 7 दिनों के भीतर उनके कानूनी उपचार के लिए निर्देशित करता हूं, जिसके बाद अदालत को उम्मीद है कि अधिकारियों को कानून के अनुसार काम करना होगा। इसके बाद अदालत ने पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश से अलग जाकर फैसला लेने से इनकार कर दिया।