नई दिल्ली। निर्भया कांड के दोषियों में से एक विनय कुमार शर्मा ने डेथ वारंट जारी होने के दो दिन बाद गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दोषी विनय ने अपने कानूनी अधिकार का उपयोग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की है।
2012 Delhi gangrape and murder case: One of the convicts, Vinay Kumar Sharma has filed a curative petition before the Supreme Court. A Delhi Court had issued a death warrant against all four convicts on January 7 and they are scheduled to be executed on January 22 at 7 am pic.twitter.com/Sb2fGXRDId
— ANI (@ANI) January 9, 2020
बता दें कि बीते सात जनवरी को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों को डेथ वारंट जारी किया था। इसी आधार पर चारों की फांसी के लिए 22 जनवरी की तारीख निर्धारित की है।
क्या होता है क्यूरेटिव पिटीशन?
क्यूरेटिव पिटीशन दोषियों को कानून की तरफ से मिलने वाला एक अधिकार है। इस पिटीशन को तब दाखिल किया जाता है। जब किसी दोषी की राष्ट्रपति के पास भेजी गई दया याचिका और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाती है।
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ऐसे में क्यूरेटिव पिटीशन दोषी के पास मौजूद अंतिम मौका होता है। जिसके द्वारा वह अपने लिए निर्धारित की गई सजा में नरमी की गुहार लगा सकता या सकती है। क्यूरेटिव पिटीशन किसी भी मामले में कोर्ट में सुनवाई का अंतिम चरण होता है। इसमें फैसला आने के बाद दोषी किसी भी प्रकार की कानूनी सहायता नहीं ले सकता है।
जानें क्या है क्यूरेटिव पिटीशन के नियम?
याचिकाकर्ता को अपना क्यूरेटिव पिटीशन दायर करते समय ये बताना जरूरी होता है कि आखिर वह किस आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दे रहा है। क्यूरेटिव पिटीशन किसी वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा सर्टिफाइड होना जरूरी होता है।
इसके बाद इस पिटीशन को सुप्रीम कोर्ट के तीन सीनियर मोस्ट जजों और जिन जजों ने फैसला सुनाया था। उसके पास भी भेजा जाना जरूरी होता है। अगर इस बेंच के अधिकतर जज इस बात से सहमति जताते हैं कि मामले की दोबारा सुनवाई होनी चाहिए । तब क्यूरेटिव पिटीशन को दोबारा उन्हीं जजों के पास भेज दिया जाता है।