Site icon News Ganj

गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर से नेपाल के राजघराने के संबंध सदियों पुराना

Nepal

Nepal

वाराणसी: नेपाल (Nepal) के प्रधानमंत्री का भारत दौरा राजनीतिक संबंधों के साथ ही धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से और मजबूत कर गया। शेर बहादुर देउवा ने पशुपतिनाथ और विश्वनाथ के रिश्तों को और प्रगाढ़ किये। गोरखनाथ मंदिर (Gorakhnath Temple) से नेपाल के रिश्ते भी सदियों पुराने है। इसकी मिसाल नेपाल के पीएम के काशी यात्रा में योगी आदित्यनाथ के पूरे समय साथ रहने से भी दिखा।

भारत और नेपाल के सदियों पुराने मजबूत रिश्तों में पड़ी धूल के हटने से चीन के नेपाल कार्ड पर भी भविष्य में असर दिखेगा। नेपाली पीएम के भारत दौरे से भविष्य में चीन की ट्रांस हिमालयन कॉरिडोर की नीति पर भी असर देखने को  मिल सकता है। जो भारत के पक्ष में होगा।

भारत और नेपाल के बीच महज राजनीतिक सीमा है। जबकी धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से दोनों देश मे काफ़ी एकरूपता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और गोरखनाथ मंदिर का रिश्ता भी नेपाल से इसलिए काफी निकट का माना जाता है क्योंकि गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर से नेपाल के राजघराने के सम्बंध सदियों पुराने है। मकरसंक्रांति को गोरखनाथ मंदिर में चढ़ने वाली खिचड़ी भी नेपाल के राजघराने से ही आती है।

राजशाही के दौरान नेपाल की करेंसी पर गुरु गोरखनाथ और उनकी चरण पादुका का चित्र होता था। रविवार को जब नेपाल की प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउवा काशी पहुंचे तो उनके अगवानी से लेकर काशी कोतवाल, बाबा विश्वनाथ,और पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा पाठ के दौरान के अलावा पूरे यात्रा में योगी आदित्यनाथ उनके साथ मौजूद थे। यह भी गोरखनाथ मंदिर और नेपाल के सदियों पुराने रिश्ते की गाथा कह रहा है।

बीएचयू राजनीतिक शास्त्र विभाग के प्रोफ़ेसर और अतर्राष्ट्रीय मामलो के जानकार तेज प्रताप सिंह ने नेपाल के पीएम के भारत और काशी यात्रा के राजनीतिक और सांस्कृतिक निहितार्थ बताए। उन्होंने कहा कि दोनों देश के बीच सिर्फ़ भौगोलिक बटवारा है। जबकि दोनों देशों के बीच रोटी और बेटी का रिश्ता है। दोनों  देशी की संस्कृति और धर्म एक जैसा है। शेर बहादुर देउवा के भारत और आध्यात्मिक ,धार्मिक नगरी काशी के यात्रा से दोनों देशों के आत्मीय सम्बंध और प्रगाढ़ होंगे। विश्वनाथ और पशुपतिनाथ के रिश्ते पुरातन रिश्तों की गवाही देता है।

उन्होंने बताया कि नेपाल के भारत के रिश्तों के मजबूत होने से चीन का नेपाल में हस्तक्षेप कम होगा  चीन का नेपाल कार्ड कमजोर होगा। नेपाल में चीन का होना भारत की सुरक्षा के लिए खतरा है। चाइना वेल्थ रोड की पहल कर रहा है ,चाइना काठमांडू को तिब्बत रीजन से जोड़ना चाहता है। हाईवे ,रेलवे ,संचार ,पावर सेक्टर से चाइना नेपाल से जुड़ना चाहता है। ट्रांस हिमालयन कॉरिडोर के जरिये चीन नेपाल से पूरी तरह जुड़ना चाहता है जिससे नेपाल के बाजार पर कब्जा और महत्वपूर्ण स्थानों पर काबिज हो सके है।

नेपाल के प्रधानमंत्री के भारत यात्रा से चीन की नेपाल में हाईवे और ट्रांस  हिमालय कॉरिडोर समेत दूसरी नीतियां कमजोर हो सकती है  जिसका फ़ायदा आने वाले समय में भारत को मिल सकता है। प्रोफ़ेसर तेजप्रताप सिंह ने बताया कि नेपाल को भारत का इंटीग्रल पार्ट माना जाता रहा है। नेपाल और भारत का  ऐतिहासिक सम्बन्ध रहा है। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक राष्ट्रवाद राजनीतिक सीमाओं से ऊपर है। चीन,`भारत और नेपाल के सांस्कृतिक ,धार्मिक  परंपरागत और राजनीतिक संबंधों को कमजोर करना चाहता है।

यह भी पढ़ें: राशन वितरण और गेहूं खरीद को लेकर एक भी शिकायत नहीँ आयी

नेपाल के प्रधानमंत्री काशी में हुए अपने स्वागत से अभिभूत दिखे उन्होंने कहा कि बाबा विश्वनाथ के दर्शन पाकर हम इस जन्म में धन्य हो गए। नेपाल के प्रधानमंत्री  शेरबहादुर देउवा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद दिए। रविवार को नेपाली प्रधानमंत्री मंत्री के साथ आए डेलीगेट को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मेरा व्यक्तिगत लगाव नेपाल के साथ है और नेपाली नागरिकों के प्रति हमारे देशवासियों में सद्भाव , सम्मान व लगाव रहता है। उन्होंने विशेष रूप से जोर देते हुए कहा कि अगर हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, तो दोनों देश अपने नागरिकों के आस्था व विकास तथा रोजगार की संभावनाओं पर कार्य कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें: श्रेयांश को मिला सीएम का सहारा, किडनी के इलाज में मदद करेगी सरकार

Exit mobile version