नई दिल्ली। भारतीय महिला हॉकी टीम में मिड फिल्डर नेहा गोयल (Neha Goel) अपनी कड़ी मेहनत और लगन के दम पर ही आज टीम का आज हिस्सा हैं। अपनी मेहनत के दम पर कई मेडल जीत चुकी नेहा की कहानी फिल्मी सी है।
परिवार में सबसे छोटी नेहा की दो बड़ी बहनें और हैं। पिता शराबी था और घर का माहौल अच्छा नहीं था। पिता नाकामियत की वजह से मां फैक्ट्री में काम कर परिवार का गुजारा करती थीं। खेलों के प्रति नेहा की बचपन से ही रूचि थी। एक दिन एक दोस्त से नेहा को खेलों के विषय में अच्छी जानकारी मिली।
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इसके साथ नेहा को पता चला कि अगर खेल में अच्छा प्रदर्शन किया, तो परिवार की स्थिति भी सुधर सकती है। इसके बाद नेहा (Neha Goel) ने हॉकी को अपनाया, लेकिन पिता इसके खिलाफ थे। परिवार और समाज के विरोध की परवाह किए बगैर नेहा ने अपना सफर जारी रखा। उन्होंने अपने दिल की आवाज सुनी और अपनी मेहनत और मां के साथ की ही बदौलत आज वह भारतीय महिला हॉकी टीम में खेल रही हैं। जल्द ही नेहा टोक्यो ओलंपिक में खेलती नजर आएंगी।
नेहा की मां के साथ ने दिया हौंसला
नेहा के परिवार में कमाई का कोई जरिया न होने के साथ परिवार की स्थिति बेहद खराब थी। पिता शराब पीने के आदी थी, तो घर जैसे-तैसे चल रहा था। इसी बीच पिता की मौत के बाद मां के ऊपर परिवार की जिम्मेदारी आ गई और उन्होंने फैक्ट्री में काम करना शुरू किया। मां ने नेहा को कहा कि वह उनके साथ हैं, इसलिए बिना किसी परवाह के वह अपने खेल पर ध्यान दें। नेहा ने ऐसा ही किया और वह धीरे-धीरे खेल में महारथ हासिल करने लंगी और उन्हें नेशनल टीम में जगह मिल गई।
हॉकी में अपना परचम लहराने के बाद नेहा की किस्मत का सितारा चमक उठा और रेलवे ने उन्हें 2015 में नौकरी ऑफर की
हॉकी में अपना परचम लहराने के बाद नेहा की किस्मत का सितारा चमक उठा और रेलवे ने उन्हें 2015 में नौकरी ऑफर की। नौकरी मिलने से परिवार की माली हालत में सुधार आने के साथ-साथ नेहा के खेल में भी निखार आया। नेहा ने खेल के साथ-साथ अपने घर को जिस तरह से संभाला, उसकी उम्मीद 23 साल की लड़की से करना मुश्किल ही होगा।
नेहा ने यहां तक पहुंचने के लिए बेहद मुश्किलों का सामना किया, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। 2018 के एशियाई खेलों में भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए फ़ाइनल के मुक़ाबले में गोल दागना जिसने भारत को एशियाई खेल में रजत पदक जिताया। नेहा को अब इंतजार है टोक्यो ओलंपिक का। बता दें कि उनका ओलंपिक के लिए चयन टीम में हो चुका है।