लखनऊ। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में बुधवार को भारत की उच्च तकनीकी शिक्षा प्रणाली हेतु अभिनव और प्रगतिशील दृष्टिकोण विषय पर वेबिनार आयोजित किया गया। वेबिनार आयोजन का उद्देश्य नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर चर्चा करना रहा।
इस अवसर पर शिक्षा संस्कृत उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी, बतौर मुख्य अतिथि एवं एआईसीटीई के सदस्य सचिव प्रो राजीव कुमार बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो विनीत कंसल ने नई शिक्षा नीति के विविध आयामों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए प्रावधान किये गये हैं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में स्वायत्तता, एक्रिडिटेशन आदि पर विशेष बल दिया गया है।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने वेबिनार में प्रतिभाग कर रहे सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के क्रियान्वन के लिए विवि प्रतिबद्धता से कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि एकेडमिक क्रेडिट बैंक की अवधारणा को मूर्तरूप देने के साथ ही ‘वन कंट्री वन डाटा’ पर भी कार्य करने की आवश्यकता है।
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प्रो राजीव कुमार ने बताया कि नई शिक्षा नीति में मल्टीडिसिप्लिनरी और ट्रांसडिसिप्लिनरी अप्रोचेस को मूर्तरूप मिलेगा। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के क्रम में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् द्वारा प्रोसेस हैण्ड बुक में बदलाव किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में प्राविधिक शिक्षा के विद्यार्थी संकाय परिवर्तन के लिए भी अर्ह होंगे।
उन्होंने कहा कि भविष्य में गणित एवं विज्ञान विषयों के साथ अन्य विषयों से उत्तीर्ण विद्यार्थी भी बीटेक पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए अर्ह होगा। ऐसे में विश्वविद्यालयों को ब्रिज कोर्सेस शुरू करने की पहल करनी होगी।
मुख्य अतिथि अतुल कोठारी ने कहा कि एकेटीयू प्राविधिक शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में विद्यार्थी को शोध एवं नवाचारों से जोड़ने के लिए विशेष प्रावधान किये गये हैं। उन्होंने कहा कि हमें स्नातक के प्रथम वर्ष से ही विद्यार्थियों की शोध अभिरुचि को जाग्रत करने का कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में चॉइस बेस्ड एजुकेशन सिस्टम विद्यार्थियों के समग्र विकास में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में अधिगम, शोध अभिरुचि एवं कौशल विकास हेतु समायोजित शिक्षा प्रणाली का ढांचा प्रस्तुत किया गया है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में विभिन्न विधाओं में अपनी भाषा में शोध कार्य को बढ़ावा देने के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि एकेटीयू की भांति अन्य विश्वविद्यालयों को भी गाँव, स्कूल आदि को गोद लेकर टेक्नोलॉजी से जोड़ने का कार्य करना होगा। वेबिनार में विश्वविद्यालय के विभिन्न सम्बद्ध संस्थानों के लगभग 275 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। वेबिनार का समन्वयन डॉ सचिन सिंह ने किया।