नई दिल्ली । देश के औषधीय उत्पादों और दादी-नानी के घरेलू नुस्खों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की जरूरत है। यह बात केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने बुधवार को कही।
मंत्रालय के सहयोग से लगाये गये पहले जैविक उत्पाद संयंत्र का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उद्घाटन श्रीमती बादल ने किया। ऑर्गेनिक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की टी-बैग बनाने वाली यह इकाई उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में लगाई गई है।
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह इकाई ‘ब्रांड इंडिया’ को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने में मददगार होगी। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी ने प्रकृति की तरफ वापस मुड़ने की जरूरत को एक बार फिर रेखांकित किया है। भारतीय औषधियाँ और सुगंधित उत्पाद देश की ताकत हैं। हजारों साल से हमारे घरों में दादी-नानी के नुस्खों से बीमारियों का उपचार किया जाता रहा है। इन्हें दुबारा वैश्विक बनाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि रसायनों और कीटनाशकों का इस्तेमाल ज्यादातर बीमारियों की जड़ हैं। जैविक उत्पादों को अपनाने से इसका हल हो सकता है। ऑर्गेनिक इंडिया की चार एकड़ क्षेत्रफल में फैली इस इकाई की क्षमता रोजाना 20 लाख टी-बैग बनाने की है। परियोजना की कुल लागत 55.13 करोड़ रुपये है जिसमें 4.8 करोड़ रुपये की मदद खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की ओर से प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के तहत दी गई है।
खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने कहा कि परियोजना से आसपास के क्षेत्र में लोगों को रोजगार मिलेगा। यह क्षेत्र के विकास में मददगार होगी। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि असम के चाय का तुलसी की पत्तियों से संवर्द्धन कर कंपनी स्वास्थ्यवर्द्धक जैविक चाय तैयार कर रही है।
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कंपनी ने बताया कि इस परियोजना में 156 लोगों को प्रत्यक्ष और 228 लोगों को परोक्ष रोजगार मिला है। साथ ही देश भर में दो हजार से अधिक किसान इससे जुड़े हैं। यहाँ बनने वाले टी-बैग का अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, दुबई और चेक गणराज्य समेत 30 से अधिक देशों को निर्यात किया जायेगा।
कंपनी के प्रवर्तक भरत मित्रा ने कहा कि विदेशों में निर्यात के लिए देश के जैविक उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार कर इसे विश्व स्तरीय बनाने की जरूरत है ताकि इनका निर्यात बढ़ाया जा सके।