न्यायाधीश आरएफ नरीमन के विदाई समारोह में गुरुवार को देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि जस्टिस नरीमन अपनी विद्वता, स्पष्टता और विद्वतापूर्ण कार्य के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अपने 7 साल के कार्यकाल में 13,565 केस सुने हैं। मुझे ऐसा लग रहा है कि उनके सेवानिवृत्त होने के साथ ही मैंने न्यायिक संस्थान की रक्षा करने वाले एक शेर को खो दिया है।
उन्होंने कहा कि श्रेया सिंघल मामले में न्यायमूर्ति नरीमन के फैसले ने कानूनी न्यायशास्त्र पर एक अमिट छाप छोड़ी है, जिसके तहत आईटी अधिनियम की धारा 66-ए को रद्द कर दिया गया था। उनके अन्य फैसलों में एलजीबीटी अधिकार, निजता को मौलिक अधिकार, तीन तलाक समाप्त करने का फैसला भी शामिल है।
सीजेआई ने कहा कि न्यायाधीश नरीमन समकालीन न्यायिक प्रणाली के मजबूत स्तंभों में से एक है। वह सिद्धांतों के व्यक्ति हैं और जो सही है उसके लिए प्रतिबद्ध हैं। भाई नरीमन जैसे दिग्गज कानूनी कौशल के भंडार हैं। आश्चर्य है कि क्या किसी व्यक्ति की उम्र सेवानिवृत्ति के कार्यकाल और समय को तय करने के लिए उपयुक्त पैमाना है।
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मुख्य न्यायाधीश ने उनकी शैक्षणिक और कानूनी यात्रा के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि जस्टिस नरीमन ने 7 जुलाई 2014 को सीधे बार से सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने से पहले लगभग 35 वर्षों तक कानून की प्रैक्टिस की और उन्होंने लगभग 13,565 मामलों का निपटारा किया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘मुझे लगता है कि मैं इस संदर्भ को केवल एक पंक्ति के साथ समाप्त कर सकता हूं कि भाई नरीमन की सेवानिवृत्ति के साथ मुझे लगता है कि मैं न्यायिक संस्थान की रक्षा करने वाले शेरों में से एक को खो रहा हूं।