चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों से बाज आता नहीं दिख रहा है। अपनी इस नीति को अंजाम देने के लिए वह अब पाकिस्तान की तरह ही श्रीलंका का भी इस्तेमाल कर रहा है और वहां के बंदरगाह पर चीनी नेवी ने कई प्रोजेक्ट भी शुरू कर दिए हैं।
चीन का इस तरह श्रीलंका के बंदरगाहों पर कब्जा करने को भारतीय नौसेना अपने देश के लिए खतरे की घंटी के तौर पर देख रही है और साथ ही चीन की हरकतों पर पैनी नजर भी रखी जा रही है।
समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में नेवी वाइस चीफ वाइस एडमिरल जी अशोक कुमार ने कहा कि भारतीय नौसेना अपनी समुद्री सीमाओं की सुरक्षा करने के लिए पूरी तरह तैयार है और कोई भी देश हमपर अचानक कोई आक्रमण नहीं कर सकता है।
हालांकि, उन्होंन यह भी कहा, ‘अगर आप यह जानने की कोशिश करेंगे कि चीन की श्रीलंका में उपस्थिति खतरा है या नहीं, तो यह बेहद मुश्किल सवाल होगा। लेकिन सच यह है कि जब कोई बाहरी आपके क्षेत्र में इतना रुचि लेने लगे तो इससे आपको खतरा हो सकता है। हमें बस इसपर करीबी नजर रखनी होगी।’
जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत चीन की गतिविधि पर नजर रख रहा है तो उन्होंने कहा, ‘हां, पूरे क्षेत्र पर।’ चीन को हाल ही में कोलंबो में एक पोर्ट मिला है। इससे पहले चीन ने श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट पर भी कब्जा जमाया, जिसे चीन ही बना रहा है।
जब जी अशोक कुमार से यह पूछा गया कि क्या चीन समुद्र के रास्ते भारत पर अचानक हमला कर सकता है, तो उन्होंने कहा, ‘मुंबई पर 26/11 हमले का बाद भारत ने तटीय सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। ऐसे में समुद्री रास्ते से भारत पर हमले की संभावना अब बेहद कम है। हम एक दशक पहले जितना तैयार थे, उससे कहीं ज्यादा आज की तारीख में तैयार हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि निकट भविष्य में भारतीय वायुसेना की क्षमता और बढ़ेगी।
सबसे बड़ी चिंता यह है कि चीन, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को ठेंगे पर रखता है चाहे वो दक्षिण चीन सागर का मामला हो या फिर कोरोना जैसी वैश्विक त्रासदी। हर मामलों में उसने सिर्फ मनमानी की है, अपने सीमावर्ती छोटे देशों को धमकाना, बड़े बड़े लोन देकर उन देशों की जमीनों पर कब्जा करना आदि।