नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratri 2020) शनिवार 17 अक्टूबर को चित्रा नक्षत्र में शुरू हो रहा है। इस बार नवरात्र पूरे नौ दिनों का है और किसी भी तिथि का लोप नहीं हो रहा है।
बता दें कि जिस दिन घट स्थापना हो रही है। उसी दिन सुबह सूर्य लग्न में नीच का होगा। यह अत्यंत दुर्लभ संयोग है जो लगभग 20 वर्ष बाद बन रहा है। वहीं सिद्धिदायक होने के साथ इस बार पूरे 58 वर्षों के बाद ग्रहों की ऐसी स्थिति है कि शनि स्वराशि मकर में और गुरु स्वराशि धनु राशि में रहेंगे।
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इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलोजिकल साइंस के संयुक्त सचिव आचार्य कौशल वत्स ने बताया कि देवी आराधना का पर्व इस बार विशेष संयोगों के साथ आएगा। बुधादित्य और सर्वार्थ सिद्धि जैसे खास योग इस बार शक्ति साधना को और महत्वपूर्ण बनाएंगे।
शारदीय नवरात्र 17 से 25 अक्टूबर को पूर्ण होंगे
शारदीय नवरात्र 17 से 25 अक्टूबर को पूर्ण होंगे। इसके मध्य बुधादित्य योग, तीन बार रवियोग, एक सर्वार्थ सिद्धि योग विराजमान रहेंगे। घट स्थापना शनिवार को तुला राशि का चंद्रमा, चित्रा नक्षत्र, विषकुंभ योग के कारण किंस्तुन रहेगा।
सिद्धियां प्रदान करेंगी मां भगवती
इस बार नवरात्र में ग्रहों की स्थिति ऐसी है कि इनमें की गई पूजा, अनुष्ठान, सिद्धियां सफल होंगी। तुला लग्न में सूर्य बुध विराजित हैं। सूर्य लाभेश होकर तुला लग्न में बुध के साथ विराजित हैं। इस स्थिति में पूजा-पाठ, अनुष्ठान, साधना की जाती है। तो निश्चित ही पूर्ण सफलता, धन-धान्य सुख समृद्धि मिलने की मान्यता है। इस दौरान मकर राशि में शनि, सिंह राशि में शुक्र, वृश्चिक राशि में केतु, धनु राशि में गुरु, वृषभ राशि में राहु और मीन राशि में मंगल विराजित हैं। जो कि अपने आप में एक सिद्धि प्रदाता स्थिति है।
इससे पहले यह योग वर्ष 1962 में बना था
सिद्धिदायक होने के साथ इस बार पूरे 58 वर्षों के बाद ग्रहों की ऐसी स्थिति है। शनि स्वराशि मकर में और गुरु स्वराशि धनु राशि में रहेंगे। इससे पहले यह योग वर्ष 1962 में बना था। इस बार नवरात्रि में दो शनिवार आएंगे यह अत्यंत शुभ संयोग है। शनिवार को दुर्गा पूजा का करोड़ गुना फल मिलता है। माता का वाहन सिंह को माना जाता है, लेकिन हर नवरात्रि के समय माता रानी अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं।