लखनऊ डेस्क। घटस्थापना के दिन से ही नवरात्रि का प्रारंभ माना जाता है। शास्त्रों में कलश को भगवान गणेश की संज्ञा दी गई है। नवरात्र का शुभारम्भ 29 सितंबर को आरंभ हो रहा है।आइए जानें कलश स्थपना का सही मुहूर्त और मंत्र –
ये भी पढ़ें :-Navratri 2019: जानें नवरात्र में किन तरीकों से रख सकते हैं स्वास्थ्य का ध्यान
आपको बता दें अगर आप मंत्र नहीं पढ़ना चाहते है तो आप बिना मंत्र के ही गंगा, यमुना, कावेरी, गोदावरी, नर्मदा आदि पवित्र नदियों का ध्यान करें और साथ ही वरूण देवता का भी ध्यान करना चाहिए। इसके बाद कलश के मुख पर कलावा बांधे और फिर एक कटोरी से कलश को ढक देना चाहिए।
गंगे! च यमुने! चैव गोदावरी! सरस्वति!
नर्मदे! सिंधु! कावेरि! जलेSस्मिन् सन्निधिं कुरु।।
ये भी पढ़ें :-जानें कब से आरम्भ हो रहा आराधना का पर्व नवरात्रि और पूजा विधि
जानकारी के मुताबिक कलश स्थापना के लिए घर के उत्तर-पूर्वी हिस्से में अच्छे से साफ-सफाई करनी चाहिए। घट स्थापना वाले स्थान को गंगा जल से स्वच्छ करें और जमीन पर साफ मिट्टी बिछाएं, फिर उस साफ मिट्टी पर जौ बिछाएं। इसके बाद फिर से उसके ऊपर साफ मिट्टी की परत बिछाएं और उस मिट्टी के ऊपर जल छिड़कना चाहिए। फिर उसके ऊपर कलश स्थापना करनी चाहिए। गले तक कलश को शुद्ध जल से भरना चाहिए और उसमें एक सिक्का रखना चाहिए। कलश के जल में गंगा जल अवश्य मिलाएं।