कृषि कानून के विरोध में किसानों का आंदोलन जारी है, करनाल में किसानों पर लाठी चार्ज के बाद प्रशासन द्वारा अन्नदाताओं को न मना पाना सरकार की चिंता बढ़ा गई। करनाल महापंचायत में जुटे हजारों किसानों ने लाठी चार्ज के दौरान मारे गए सुशील काजल को न्याय देने की मांग की। दरअसल किसान जानते हैं कि राज्य सरकार कृषि कानून वापस नहीं ले सकती इसलिए लाठी चार्ज का आदेश देने वाले अधिकारी और शहीद किसान का ही मुद्दा मुख्य बनरात में हजारों की संख्या में किसान लघु सचिवालय के पास जमा रहे, किसानों का साफ कहना है कि जबतक न्याय नहीं मिलता वह वहीं बैठे रहेंगे।
एसडीएम आयुष सिन्हा का तबादला करनाल से चंडीगढ़ कर दिया गया लेकिन किसान इसे सख्त कार्रवाई नहीं मानते, उन्हें बर्खास्त करने की मांग की जा रही है। वहीं किसानों को मनाने में प्रशासन की विफलता ने सरकार की चिंताए बढ़ा दी हैं। किसान इस महापंचायत में अपने मूल मांगों के साथ-साथ लाठीचार्ज के बाद मृतक किसान सुशील काजल को न्याय दिलाने के मकसद से नई अनाज मंडी में एकत्रित हुए थे। तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने, एमएसपी की गारंटी देने संबंधी मुख्य मांगों के साथ-साथ लाठीचार्ज का आदेश देने वाले एसडीएम आयुष सिन्हा और इसमें संलिप्त पुलिस कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग भी पूरी तरह बुलंद थी।
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दूसरी ओर, सरकार ने 28 अगस्त को लाठीचार्ज की घटना के कुछ दिन बाद एसडीएम आयुष सिन्हा का तबादला तो करनाल से चंडीगढ़ कर दिया था लेकिन किसान नेता इसे संबंधित अफसर के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं मानते हैं। किसान नेताओं ने वायरल हुई वीडियो में लाठीचार्ज का आदेश देने वाले एसडीएम के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करते हुए उन्हें बर्खास्त करने की मांग बुलंद कर रखी है। भाकियू के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि सरकार एसडीएम को बचाना चाहती है, उन्हें न तो मृतक किसान से कोई मतलब है और न ही संघर्ष कर रहे किसानों की मांगों से। इसलिए किसान भी कड़े से कड़ा इम्तिहान देने को तैयार हैं लेकिन सुशील काजल को न्याय दिलाए बिना अब कोई पीछे नहीं हटेगा।