शायर मुनव्वर राना ने तालिबान का समर्थन किया है। उनका कहना है कि तालिबानी लड़ाकों ने किसी मुल्क पर हमला नहीं किया बल्कि उन्होंने अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान में अपनी सैन्य ताकत के बलबूते जो सरकार बनाई गई थी उसे ही उखाड़ फेंका है। इस तरह तालिबान ने तो अपने मुल्क को आजाद कराया है।मुनव्वर राना का कहना है कि रही बात कट्टरपंथ की तो अफगानिस्तान में शरीयत कानून तो पहले भी था। जिसे कुछ लोग पसंद नहीं करते थे।
अमेरिका ने सैन्य ताकत के बल पर अफगानिस्तान में जो सरकार बनाई थी उस पर पूरी तरह से नियंत्रण भी उसी का था। तालिबान ने अमेरिका और उसके द्वारा बनाई गई सरकार से अपने मुल्क को आजाद कराया है। उन्होंने कहा कि जब हिंदुस्तान अंग्रेजों का गुलाम था तो देशवासियों ने उसे आजाद कराया गया था। उसी तरह तालिबान ने भी अपना मुल्क आजाद करा लिया तो क्या दिक्कत है।
मुनव्वर राना का कहना है कि अब तालिबान सरकार यदि शरीयत कानून को अफगानिस्तान में लागू करती है तो इससे किसी का नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि शरीयत कानून में किसी को नुकसान पहुंचाना मना है। तो फिर भला इससे किसी को क्या नुकसान हो सकता है।
मुनव्वर राना ने कहा कि तालिबान को आतंकवादी नहीं कह सकते, उन्हें अग्रेसिव (उग्र) कहा जा सकता है। तालिबान ने अपने मुल्क को आजाद करा लिया तो आखिर दिक्कत क्या है। अपनी जमीन पर कब्जा तो किसी भी तरह से किया जा सकता है।शायर मुनव्वर राना का कहना है कि हिंदुस्तान और अफगानिस्तान हमेशा से अच्छे दोस्त रहे हैं।
BJP फिर सत्ता में आई तो किसानों की हालत और दयनीय हो जाएगी, यह आखिरी जीतनी होगी- किसान नेता
अफगान नागरिकों ने कभी भी किसी भारतीय को नुकसान नहीं पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान ने वहां की विकास योजनाओं पर हजारों करोड़ रुपये निवेश किए हैं। ऐसे में तालिबान के नेतृत्व में अब जो सरकार बनेगी वह भारत और अफगानिस्तान की दोस्ती के रिश्ते को नजरअंदाज नहीं करेगी। मुनव्वर राना का कहना है कि मुझे नहीं लगता कि हिंदुस्तान को तालिबान से किसी तरह का खतरा होगा।