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मुनव्वर राणा ने तालिबानी लड़ाकों की तुलना महर्षि वाल्मिकी से की, कहा- किसी को भी भगवान मान लेते हैं

यूपी के रहने वाले मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने तालिबानियों की तारीफ थी, उनके इस बयान को लेकर न्यूज नेशन ने उनका इंटरव्यू लिया। राणा ने न्यूज नेशन के शो ‘देश की बहस’ में दीपक चौरसिया से बात करते हुए तालिबानी लड़ाकों की तुलना महर्षि वाल्मिकी से कर दी। जब उनसे सवाल किया गया कि आपके नजरिए में तालिबानी आतंकी हैं या नहीं, इसके जवाब में उन्होंने तालिबानी लड़ाकों को वाल्मिकी से जोड़ा। उन्होंने कहा- अब तक तो आतंकी हैं, लेकिन अगर वाल्मिकी रामायण लिख देते हैं तो वह देवता हो जाते हैं। उससे पहले वह डाकू होते हैं, इंसान का किरदार बदलता रहता है।

उन्होंने कहा- आपके मजहब में तो किसी तो भी भगवान कह दिया जाता है। वह एक लेखक थे, उन्होंने रामायण लिखी यह उनका बड़ा काम था।मुनव्वर राणा द्वारा वाल्मिकी की तुलना आतंकियों से किए जाने पर एंकर ने आपत्ति जताई तो उन्होंने कहा कि भगवान वाल्मिकी का जो पास्ट था, उसे तो निकालना होगा। आपके मजहब में तो किसी तो भी भगवान कह दिया जाता है। वह एक लेखक थे, उन्होंने रामायण लिखी यह उनका बड़ा काम था। उनका यह इंटरव्यू, उस बयान के आधार पर लिया गया था जहां उन्होंने तालिबानियों की तारीफ करते हुए कहा था कि उन्होंने अपने देश को आजाद करा लिया तो क्या दिक्कत है।

मुनव्वर राणा ने कहा कि तालिबानियों ने अपने दो बड़े दुश्मनों अमेरिका और रूस से लंबे समय तक युद्ध लड़ा, ऐसे में यह सोचा जाना चाहिए कि उन पर कितने जुल्म हुए होंगे। उन्होंने कहा कि इसका भी हिसाब निकाला जाना चाहिए। तालिबान द्वारा किए जा रहे जुल्मों को देखकर हमें परेशान होने की जरूरत नहीं है। अफगानिस्तान के साथ भारत के हजारों सालों से मोहब्बत भरे संबंध रहे हैं।

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इससे पहले भी मुनव्वर राणा ने तालिबानी लड़ाकों का समर्थन करते हुए कहा कि अपनी जमीन पर कब्जा तो किसी भी तरह से किया जा सकता है।” वहीं जब उनसे सवाल किया गया कि असलहों के दम पर कब्जा कर लेना, लोग मजबूर हैं कि उन्हें हवाई जहाज के पहियों से लटककर वहां से जाना पड़ रहा है। इसके जवाब में मुनव्वर राणा ने कहा कि इसमें हिंदुस्तानी होकर नहीं सोचा जा सकता है। हिंदुस्तान की तरह सोचा जाए तो यह भी अंग्रेजों की गुलामी में था, जिसे आजाद कराया गया था। उन्होंने भी अपने देश को आजाद करा लिया है तो क्या दिक्कत है।

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