महर्षि वाल्मीकि की तुलना तालिबान से करने के मामले में अरोपी शायर मुनव्वर राना की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से कोर्ट ने इनकार किया। राना ने एफआईआर रद्द करने और खुद की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की गुजारिश कोर्ट से की थी। सामाजिक सरोकार फाउंडेशन संस्था ने राना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाकर आरोप लगाया कि राना ने महर्षि वाल्मीकि की तुलना तालिबान से करके हिंदू आस्था का अपमान किया।
सामाजिक सरोकार फाउंडेशन संस्था की तरफ से मुनव्वर राना के खिलाफ 21 अगस्त को हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसमें राना पर आरोप लगा था कि उन्होंने महर्षि वाल्मीकि की तुलना तालिबान से करके हिंदुओं की आस्था का अपमान किया है। राना पर धार्मिक भावनाओं को भड़काने का भी आरोप लगा।
राना ने कहा था, ‘महर्षि वाल्मीकि न केवल पवित्र ग्रंथ रामायण के रचनाकार हैं, बल्कि वाल्मीकि एक लेखक भी थे। तालिबानी भी दस साल बाद वाल्मीकि होंगे। हिन्दू धर्म में तो किसी को भी भगवान कह देते हैं।’ इस मामले में दर्ज एफआईआर और गिरफ्तारी से बचने के लिए मुनव्वर ने कोर्ट की शरण ली थी। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने उनकी दोनों मांगों को ठुकरा दिया।
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हजरतगंज कोतवाली के प्रभारी श्याम शुक्ला ने बताया कि वाल्मीकि समाज के नेता पीएल भारती की शिकायत पर शायर के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। पीएल भारती का आरोप है कि मुनव्वर ने तालिबान की तुलना महर्षि से करके देश के करोड़ों दलितों को ठेस पहुंचाई है। उनका अपमान किया है। हिंदुओं की आस्था को भी चोट पहुंचाई है।