नई दिल्ली। अगर आपके अंदर जज्बा है तो बड़ी से बड़ी चुनौतियों को भी हंसकर मुकाबला कर लेते हैं। जी हां! ये बात मुंबई की रहने वाली शिरीन ने सच साबित किया है। शिरीन एक ऑटो ड्राइवर हैं। ‘ह्यूमन ऑफ बॉम्बे’ नाम के पेज ने उनकी जिंदगी की कहानी को साझा किया है। शिरीन ने बताया कि कैसे एक गरीब और रुढ़िवादी मुस्लिम परिवार में पैदा होने के बाद। उन्होंने खुद को खड़ा किया और आज वह एक ऑटो ड्राइवर के तौर पर अपनी जिंदगी के बच्चों की जिंदगी सवार रही हैं।
‘ह्यूमन ऑफ बॉम्बे’ नाम के पेज ने शिरीन की जिंदगी की कहानी को साझा किया
शिरीन लिखा है वह एक गरीब मुस्लिम परिवार में पैदा हुई। उन्होंने लिखा है कि वह जब 11 साल की थी, तब तक मेरे माता-पिता का तलाक हो गया। मेरी मां ने फिर से शादी की। मेरी मां अपनी जिंदगी को जीना चाहती थी, लेकिन लोगों को ये कैसे रास आ सकता था? दूसरी शादी के कुछ महीने बाद, मेरी मां और मेरा भाई घर के बाहर थे। तो कुछ लोगों ने उन पर छींटाकशी की। उनकी दूसरी शादी की बात कह उनके चरित्र पर सवाल उठाए। ये मेरी मां बर्दाश्त न कर सकीं। उन्होंने उस रात खुद को आग लगाकर खुदकुशी कर ली।
फिल्म ‘बाटला हॉउस’ का ट्रेलर रिलीज, 15 अगस्त को सामने आएगा सच
शिरीन की 11 साल की उम्र में शुरू हो गया था चुनौतियों का सफर
शिरीन बताती हैं कि मेरे लिए मां को खोना सबसे मुश्किल चीजों में से एक था, लेकिन मुश्किलें यहां खत्म नहीं हुई। एक साल के बाद मेरे पिता ने मेरी और मेरी बहन से शादी कर दी। शिरीन ने बताया कि मेरी बहन के ससुराल वालों ने उसे दहेज के लिए तंग किया, और जब वह गर्भवती थी। इसके बाद उसके परिवार वालों ने तो उसे जहर देकर मार डाला। जिन दो लोगों को मैं सबसे ज्यादा प्यार करती थी, उन्हें मैंने खो दिया। उन्होंने कहा कि मुझे लगता था कि अब मैं भी नहीं बचूंगी लेकिन जब मैं गर्भवती हुई और मेरा बेटा इस दुनिया में आया, तो मेरे पास उसके लिए आगे बढ़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। मुझे लगा कि अब मैं बेटे के लिए जिंदा रहूंगी और इसे पालूंगी।
तीसरे बच्चे के बाद शिरीन के पति ने तीन बार तलाक कहा और मुझे अपने बच्चों को लेकर घर से निकलना पड़ा
शिरीन ने बताया कि तीसरे बच्चे के बाद पति ने मेरा साथ छोड़ दिया। उसने तीन बार तलाक कहा और मुझे अपने बच्चों को लेकर घर से निकलना पड़ा। मुझे सड़क पर अकेला छोड़ दिया गया था। शिरीन ने कहा कि बच्चों का पेट भरने की चुनौती मेरे सामने थी, मैंने कोई काम करने की सोची। इसके बाद मैंने एक छोटी बिरयानी स्टाल लगाया। स्टाल लगने के ठीक एक दिन बाद ही बीएमसी ने आकर इसे खत्म कर दिय। मेरे पास कोई विकल्प नहीं था, तो मैंने अपनी सारी बचत से रिक्शा खरीदा और चलाने लगी। मैंने अच्छी कमाई की, लेकिन बहुत सारे लोगों ने मुझे परेशान किया। दूसरे रिक्शा चालक भी जानबूझकर मेरे साथ खराब बर्ताव करते थे। धीरे-धीरे मैं इससे निकली और इतना कमाने लगी कि घर चला सकूं। एक साल हो गया है, और मैं अपनी आमदनी से घर को चला रही हूं। मैं अपने बच्चों को वह सब दिया जो वह अपने लिए मांगते हैं। मैं उन्हें एक कार खरीदना चाहती हूं। भगवान ने चाहा तो जल्द ही ऐसा होगा।