लखनऊ। सीएसआईआर-सीमैप ने वेस्ट सामानों का उपयोग कर ऐसी खाद को बनाया है, जो पानी को अवशोषित कर जरूरत के हिसाब से पौधों को पानी उपलब्ध कराएगा। सिम नाम से बनाया गया यह प्रोडक्ट घटते मृदा शक्ति के लिए बहुत ही लाभदायक होगा।
हर्बल सिमकेश व उन्नतिशील मेंथा का भी किया आविष्कार
उच्च जलधारण क्षमता और धनायन विनिमय क्षमता को रखने वाले गुण वाला यह प्रोडक्ट मिट्टी में कार्बन का संचय अधिक समय तक करता है। इसके साथ ही यह विषाक्त धातुओं का पौधों में अवशोषण रोकता है और उपज को बढ़ाता है। इसके साथ ही हर्बल सिमकेश व उन्नतिशील मेंथा का भी आविष्कार किया है। इसका प्रदर्शन शुक्रवार को सीमैप ग्राउंड में लगने वाले किसान मेले में पहली बार किया जाएगा। यह जानकारी सीएसआईआर-सीमैप लखनऊ के कार्यकारी निदेशक डाक्टर अब्दुल समद ने गुरुवार को दी। सिम-उन्नति: इस प्रजाति से 186-190 कि.ग्रा./हे. तेल का उत्पादन किया जा सकता है। इसमें मेंथॉल प्रतिशत 74-75% है। इसके तेल में 1.0 प्रतिशत तक सुगन्धित तेल होता है, जो कि अन्य प्रजातियों की अपेक्षा 15-20 प्रतिशत अधिक है। इस विकसित प्रजाति की फसल 100-110 दिनों में तैयार हो जाती है।
सीमैप ने बनाई ऐसी खाद, जो पानी अवशोषित कर समय-समय पर उपलब्ध कराएगा पौधों को
उन्होंने बताया कि इस खाद को बनाने कम लागत का भी ध्यान दिया गया है। इसको तैयार करने में किसान को 15 रुपये प्रति किलो की लागत आएगी। इसमें हर तत्व भी मौजूद रहेंगे, जो पौधों के लिए चाहिए। डाक्टर अब्दुल समद ने बताया कि इस वर्ष किसान मेले में लगभग 7000 किसान भाग लेगें, जोकि देश के विभिन्न भागों से आये हैं। लगभग 23 प्रदेशों से आये ये किसान औषधीय तथा सगंध पौधों की खेती से संबधित वैज्ञानिक जानकारी हासिल करेंगे। इस मेले में मुख्य अतिथि प्रोफेसर अनिल कुमार गुप्ता, संस्थापक, हनी बी नेटवर्क, सृष्टि, ज्ञान एवं नैशनल इनोवेशन फाउंडेशन होंगे तथा प्रोफेसर रंजना अग्रवाल, निदेशक, सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और विकास अध्ययन संस्थान, नई दिल्ली, विशिष्ट अतिथि होंगी।
सिमकोशी मेंथा दिया जाएगा किसानों को
इस वर्ष मेले में लखनऊ मुख्यालय से लगभग 500 क्विंटल अधिक उपज देने वाली सिम-कोशी मेन्था की प्रजाति की जड़ें (पौध सामग्री) के रूप में एरोमा मिशन के वित्तीय सहयोग से किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी। किसान मेले में ’औस-ज्ञान्या’ तथा उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में जिरेनियम की खेती से जुड़ी पत्रिकाओं का भी विमोचन किया जायेगा। इस वर्ष सीमैप द्वारा विकसित मेंथॉल मिंट की उन्नत प्रजाति, जिसमें 75 प्रतिशत मेंथाॅल और एक प्रतिशत से ज्यादा सुगंधित तेल देने वाली ’सिम उन्नति’ को भी किसानों के लिए रीलीज किया जायेगा।
ये तीन प्रोडक्ट होगा लांच
सिमकेश हेयर ऑयल: यह एक वैज्ञानिक रूप से मान्य एंटी डैंड्रफ हेयर ऑयल है जो कि हल्के तरल पैराफिन से मुक्त है। । यह सुखद प्राकृतिक सुगंध वाला, गैर-चिपचिपा तेल, पारंपरिक जड़ी बूटियों और आवश्यक तेलों के अद्वितीय संयोजन से समृद्ध है जो रूसी को रोकने, बालों को पोषण और मजबूत करने में मदद करता है और बालों के झड़ने को नियंत्रित करता है। यह सूत्रिकरण जैव-अपघट्य, गैर-इरिटेंट एवं बिना किसी प्रतिकूल प्रभाव के उपयोग करने के लिए सुरक्षित है।
सिम-मृदा शक्ति: मृदा शक्ति, एक कार्बन समृद्ध, पोषक तत्वों से भरपूर मृदा प्रतिपूरक है जो कि एरोमा पौधों के आसवन से निकले अपशिष्ट पदार्थों से बनाया गया है। यह कार्बन एवं पोषक तत्वों का स्रोत है एवं इसमें उच्च जल धारण एवं धनायन विनिमय क्षमता को रखने का गुण है।
सोरियासिम क्रीम: सीमैप ने 15 वर्ष तक शोध कर चेहरे का हर्बल कृम भी बनाया है। यह क्रीम त्वचा की सूजन की स्थिति जैसे छालरोग को कम करने में महत्वपूर्ण रूप से प्रभावी है। गैर-स्टेरायडल एरोमैटिक प्लांट लीड आधारित सूत्रीकरण, 100% प्राकृतिक जैव-कार्य, त्वचा के अनुकूल एवं गैर-इरिटेंट।
इस दौरान डाक्टर अलोक कालरा, डाक्टर सौदान सिंह, डाक्टर वी. आर. सिंह, डाक्टर संजय कुमार, डाक्टर मनोज सेमवाल, डाक्टर एन पी यादव तथा डाक्टर पूजा खरे भी उपस्थित थे।