नई दिल्ली। अगर हमारे अंदर जीने का हौंसला और दृढ़ इच्छाशक्ति हो, तो हम किसी भी जानलेवा बीमारी को आसानी से मात दे सकते हैं। ऐसा ही मुरादाबाद जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कोरोना संक्रमित युवती ने कर दिखाया है। कोरोना जैसी महामारी के संक्रमण से दुनिया भर के लोग जहां दहशत में हैं, वहीं मुरादाबाद की युवती ने अपनी इच्छा शक्ति से कोरोना को हरा दिया है।
मूंढापांडेय की 19 साल की युवती को 19 मार्च को जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया
शनिवार को युवती की दूसरी जांच हुई थी और रविवार को तीसरे सैंपल की जांच हुई। तीसरी रिपोर्ट निगेटिव आते ही युवती को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। बता दें कि मूंढापांडेय की 19 साल की युवती को 19 मार्च को जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया था। जांच के बाद युवती का सैंपल कोरोना पाजिटिव पाया गया था।
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डॉ. प्रवीण शाह बताते हैं कि उसके स्वास्थ्य में सुधार दवाओं से अधिक उसकी जीने की दृढ़ इच्छाशक्ति से हुआ
युवती ने चिकित्सकों को बताया था कि वह फ्रांस में पढ़ाई करती है। वह 15 मार्च को फ्रांस से भारत लौटी थी। 17 मार्च को मूंढापांडेय पहुंचते ही उसे बुखार और खांसी की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था। मुरादाबाद का यह अभी तक पहला पाजिटिव केस है। युवती का इलाज करने वाले डॉ. प्रवीण शाह बताते हैं कि उसके स्वास्थ्य में सुधार दवाओं से अधिक उसकी जीने की दृढ़ इच्छाशक्ति से हुआ है। युवती बेहद समझदार है। भर्ती होने के तीसरे दिन से उसकी खांसी और बुखार में आराम हो गया। उसके बाद से पूरी तरह स्वस्थ है।
डॉ. प्रवीण बताते हैं, युवती वार्ड में अकेली अपना वक्त इंटरनेट और किताबें पढ़ने में है बिताती
डॉ. प्रवीण बताते हैं, युवती वार्ड में अकेली है। अपना वक्त इंटरनेट और किताबें पढ़ने में बिताती है। खुद को व्यस्त रखती है। कोरोना महामारी को लेकर दुनियाभर की घटनाओं पर अपडेट रहती है। चिकित्सक या स्टाफ कर्मी जब भी राउंड में जाते हैं हमेशा खुश नजर आती है। डॉ. प्रवीण शाह बताते हैं कि युवती के परिजन उससे मिलने आते हैं, लेकिन दरवाजे से उसे देखकर ही लौट जाते हैं।
जीने की इच्छाशक्ति से ही उसके स्वास्थ्य में तेजी से रिकवरी हुई
संक्रमण की वजह से अस्पताल के पैनल सदस्यों के अलावा किसी भी बाहरी व्यक्ति को युवती तक जाने की अनुमति नहीं है। परिवार के सदस्यों और दोस्तों से फोन, वीडियो कालिंग पर बात करती है। डाक्टरों का और अन्य स्टाफ का सम्मान करती है। जीने की इच्छाशक्ति से ही उसके स्वास्थ्य में तेजी से रिकवरी हुई है। तीसरा सैंपल रिपोर्ट निगेटिव आते ही उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।