नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत गुरुवार यानी कल से जम्मू-कश्मीर के चार दिवसीय दौरे की शुरुआत करेंगे। भागवत की यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अनुच्छेद 370 और 35ए के निरस्त होने के बाद यह भागवत की केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की पहली यात्रा होगी। जम्मू-कश्मीर की अपनी यात्रा के दौरान, भागवत आरएसएस के स्वयंसेवकों के साथ बातचीत करेंगे और कोविड-19 महामारी की पहली और दूसरी लहर के दौरान संघ कार्यकर्ताओं द्वारा निभाई गई भूमिका का प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करेंगे।
आरएसएस का कहना है कि कोरोना वायरस के प्रकोप के दौरान लोगों की मदद करने में संघ कार्यकर्ताओं ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भागवत आरएसएस के स्वयंसेवकों से फीडबैक मांगेंगे जिन्होंने कोविड महामारी के दौरान अथक परिश्रम किया. इसके अलावा आरएसएस प्रमुख संघ की जम्मू-कश्मीर इकाई के साथ कई आंतरिक संगठनात्मक बैठकों की अध्यक्षता भी करेंगे। वहीं 2 अक्टूबर को वह जम्मू विश्वविद्यालय के जनरल जोरावर सिंह सभागार में एक सेमिनार को संबोधित करेंगे।
3 अक्टूबर को स्वयंसेवकों को करेंगे संबोधित
जानकारी के मुताबिक, मोहन भागवत जम्मू-कश्मीर में सेवा, शिक्षा, जन जागरूकता, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, पारिस्थितिकी, जल संरक्षण, सामाजिक समानता आदि सहित विभिन्न क्षेत्रों में संघ द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं की भी समीक्षा करेंगे. वहीं भागवत 3 अक्टूबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जम्मू-कश्मीर में आरएसएस के स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे। उनका प्रचारकों के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश के चुनिंदा गणमान्य व्यक्तियों से भी मिलने का कार्यक्रम है।
आरएसएस के सरसंघचालक और सरकार्यवाहक हर साल प्रचारकों और गणमान्य व्यक्तियों से मिलने के लिए देश के सभी प्रांतों में जाते हैं। मालूम हो कि इससे पहले भागवत साल 2016 में जम्मू आए थे।