नई दिल्ली। दिल्ली में रविवार को आयोजित गीता महोत्सव कार्यक्रम में हैदराबाद की महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना पर संघ प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान आया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं पर होने वाले अपराध के लिए सरकार ने कानून बनाए हैं, लेकिन उसे ठीक ढंग से लागू करना होगा। उन्होंने कहा कि प्रशासन पर सब कुछ नहीं छोड़ा जा सकता। पुरुषों को महिलाओं के साथ व्यवहार के बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता है।
#WATCH RSS Chief Mohan Bhagwat at ‘Gita Mahotsav Programme’ in Delhi: Government has made the laws, it has to be implemented properly. Not everything can be left on administration. Men need to be educated on how to treat women. pic.twitter.com/CPcymkPRMF
— ANI (@ANI) December 1, 2019
संघ प्रमुख भागवत ने हैदराबाद में महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और हत्या से देश में उपजे जन आक्रोश के संदर्भ में कहा कि महिलाओं की सुरक्षा समाज की जिम्मेदारी है। परिवारों को चाहिए। वह बच्चों को शुरू से ही महिलाओं के प्रति सम्मान का भाव जगाएं। उन्हें संस्कारित और अनुशासित बनाने की जरूरत है। जिओ गीता के तत्वावधान में गीता मनीषी संत ज्ञानानंद महाराज के नेतृत्व में आयोजित कार्यक्रम में गीता को स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग उठी। संतों ने गीता को घर-घर पहुंचाने के लिए प्रत्येक भारतीय का कम से कम एक श्लोक कंठस्थ करने का आह्वान किया।
भागवत ने कहा कि मातृशक्ति की सुरक्षा परिसर और परिवार में अक्षुण्ण रहे। इसके लिए सरकार कानून बना चुकी है। कानून का पालन ठीक ढंग से होना चाहिए। शासन-प्रशासन की ढिलाई ये सब अब चल नहीं सकता। मातृशक्ति की ओर देखने की दृष्टि स्वस्थ होनी चाहिए। उन्होंने अनुशासन के आचरण पर बल दिया। कहा-इसकी शुरुआत हम अपने घर से करें। इसके बाद समाज से इसका आग्रह करें।
उन्होंने कहा कि गीता केवल किसी व्यक्ति विशेष नहीं बल्कि यह संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए है। भागवत ने कहा कि इस कार्य में रुकावट भी आएंगी और ऐसे में लड़ना भी पड़ सकता है। इसके लिए उन्होंने अर्जुन को गीता के प्रथम आदेश भागो मत, खड़े रहो और सामना करो का जिक्र करते हुए कहा कि युद्ध के बाद न्याय की स्थापना होने पर मतभेद भुला दो। सरसंघचालक ने कहा कि सत्य का आत्मबोध कराने वाली गीता हमारी विरासत है। मगर यह केवल हमारे लिए भर नहीं है। हमें इसे संपूर्ण विश्व को देना है।
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि भगवत गीता से पूरा न्याय केवल उसे मंदिर और गुरुकुल में रखने मात्र से नहीं है बल्कि उसका संदेश जन-जन तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने के संदर्भ में कहा कि वह समय जल्द आएगा। उन्होंने गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग करते हुए पूर्व विदेशमंत्री सुषमा स्वराज को याद किया। उन्होंने कहा कि भगवत गीता केवल अध्यात्म तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह चिकित्सा शास्त्र भी है। यह मनोबल बढ़ाने का काम करती है। इसके अलावा यह राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए भी प्रेरणादायी है।
इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि गीता के सार और संदेश को आत्मसात करने वाला व्यक्ति प्रत्येक समस्या का समाधान पाएगा। केंद्रीय महिला एवं बाल विकासमंत्री स्मृति ईरानी ने संतों से समाज में महिला सुरक्षा के संदेश को देने का आह्वान करते हुए कहा कि जहां-जहां संतों के चरण पड़े, वहां महिलाओं के सम्मान पर बल दें। साध्वी ऋतंभरा ने श्रीकृष्ण, बलराम एवं सात्यकि से जुड़े प्रसंग का उल्लेख करते हुए ब्रहमराक्षस को जीवन की समस्या बताते हुए कहा कि क्रोध से इसका मुकाबला करने पर यह विकराल होती जाती है और मुस्कराकर यदि इसका सामना करेंगे तो यह सूक्ष्म लगने लगेगी।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि गीता के श्लोकों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। ताकि बच्चे अच्छे संस्कार सीखें। उन्होंने कुरुक्षेत्र को श्रीकृष्ण की कर्मभूमि बताते हुए कहा कि वह इसे दिव्य स्थान बनाने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा, सरस्वती नदी के उद्गम स्थल और उसके आसपास के तीर्थ स्थानों को विकसित किया जाएगा।