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मोबाइल पहुंचा रहा है आपके शरीर को इस तरह नुकसान

आज के समय में शायद ही कोई शख्स ऐसा होगा जो मोबाइल (Mobile) का इस्तेमाल नहीं करता। आज मोबाइल के बिना जिंदगी बिल्कुल अधूरी सी लगती है। अगर यह हमसे एक दिन के लिए भी दूर हो जाए तो ऐसा महसूस होता है की हमारे शरीर का एक हिस्सा हमसे अलग हो गया है और हम पूरी तरह से असहाय हो चुके है।

पहले-पहल फोन को अमीरी समझा जाता था, फिर यह जरूरी बना और अब यह मजबूरी बन गया है। लेकिन मजबूरी बन चुका यही फोन अब बीमारियों की जड़ भी बनता जा रहा है। इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि इससे कुछ ऐसी रेडिएशन्स निकलती हैं जो सेहत पर बुरा प्रभाव डालती हैं। आज हाँ आपको बताने जा रहे हैं यह मोबाइल किस तरह आपको बीमारियाँ दे रहा हैं…

* हर साल पूरी दुनिया में करोड़ों सेलफोन प्रयोग करने के बाद फेंक दिये जाते हैं। जिसके कारण ये खतरनाक रसायन और धातु मिट्टी और पानी में मिलते हैं और इससे पानी और मिट्टी में जहर फैलता है और कई खतराक बीमारियों को बढ़ा सकता है। इन मोबाइलों में लीड, ब्रोमीन, क्लोरीन, मर्करी और कैडमियम पाया जाता है, जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। मोबाइल में मोबाइल में पॉलीक्लोरीनेटेड बाईफिनायल्स रसायन निकलता है, जिसके कारण शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता घटती है।

* मोबाइल फोन (Mobile) के रेडिएशन से उत्पन्न खतरों में सबसे बड़ा खतरा है कैंसर। अगर आप अपने मोबाइल फोन को पूरा दिन अपनी जेब में या शरीर से चिपकाकर रखते हैं तो संबंधित स्थान पर ट्यूमर होने की आशंका बढ़ जाती है और आप आसानी से कैंसर के शिकार हो सकते हैं।

* ज्यादातर पुरूषों में आदत होती है कि वे अपना मोबाइल फोन बेल्ट के पास बने पॉकेट में रखते हैं। पूरा दिन मोबाइल फोन को इस तरह से रखना आपके लिए बेहद हानिकारक है। मोबाइल फोन के इलेक्ट्रोमेगनेटिक विकिरणों का प्रभाव आपकी हड्डियों पर भी पड़ता है और उनमें मौजूद मिनरल लिक्विड समाप्त हो सकता है।

* एक शोध के मुताबिक तनाव का भी कारण बनता है। खासतौर से महिलाओं में ये तनाव का प्रमुख कारण है। रात में बिस्तर पर सोने समय भी फोन की स्क्रीन पर ताकते रहते हैं तो ये आपकी नींद खराब कर सकता है। फोन से निकले वाली रोशनी शरीर की सिरकेडियन रिदम को प्रभावित करती है और ऐसे हार्मोन्स स्त्रावित करती है जिससे सतर्कता सी बनी रहती है जो नींद खराब करती है

* मोबाइल फोन से निकलने वाले इलेक्ट्रोमेगनेटिक विकिरणों से आपका डीएनए तक क्षतिग्रस्त हो सकता है। इसके अलावा इसका अधिक इस्तेमाल आपको मानसिक रोगी भी बना सकता है।

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