महिलाओं से ज्यादा मात्रा में वसा लेते हैं पुरुष

रिसर्च में खुलासा : महिलाओं से ज्यादा मात्रा में वसा लेते हैं पुरुष

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नई दिल्ली। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के सर्वे बड़ा खुलासा हुआ है। इसमें मिला है कि महिलाओं के मुकाबले पुरुष ज्यादा वसा का सेवन करते हैं।

पुरुष औसतन प्रतिदिन 34.1 ग्राम, जबकि महिलाएं 31.1 ग्राम वसा का  करती हैं सेवन

हालिया सर्वेक्षण के नतीजों के अनुसार, अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई जैसे सात शहरों में पुरुष औसतन प्रतिदिन 34.1 ग्राम, जबकि महिलाएं 31.1 ग्राम वसा का सेवन करती हैं। वहीं, दिल्ली और अहमदाबाद दाल फ्राई, भरवां पराठा और मटन बिरयानी आदि पकवानों के रूप में अतिरिक्त वसा के प्रतिदिन उपभोग के मामले में सात महानगरों की सूची में शीर्ष पर हैं, जबकि हैदराबाद इस सूची में सबसे निचले स्थान पर है।

वसा का सेवन करने में दिल्ली नंबर वन

अंतरराष्ट्रीय जीवन विज्ञान संस्थान के अध्यक्ष प्रोफेसर पीके सेठ ने बताया कि वसा उपभोग का स्तर दिल्ली और अहमदाबाद में काफी बढ़ा हुआ है। यहां यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए हर दिन क्रमश: 44.4 और 43.9 ग्राम है। जबकि मुंबई और हैदराबाद में अतिरिक्त वसा का सेवन सबसे कम यानी प्रतिदिन प्रत्येक व्यक्ति क्रमश: 28.8 ग्राम और 25.1 ग्राम वसा का सेवन करता है।

नॉनवेज ने बढ़ाई वसा की मात्रा

सर्वेक्षण में पाया कि मटन बिरयानी में चिकन बिरयानी, दाल और मांसाहारी पकवानों से अधिक वसा होती है। हालांकि, सभी मांसाहारी पकवानों में अतिरिक्त वसा की मात्रा बहुत ज्यादा होती है।

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शाकाहारी लोग ज्यादा करते हैं वसा का सेवनसर्वे में पता चला कि सातों शहरों में शाकाहारी भोजन करने वाले लोग 40.7 ग्राम अतिरिक्त वसा का सेवन करते हैं, जो मांसाहार करने वालों के प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन के औसत 30.2 ग्राम के मुकाबले 10 फीसदी ज्यादा है। अध्ययन के मुताबिक जो लोग ज्यादा तला हुआ भोजन खाते हैं, वे अतिरिक्त वसा का ज्यादा सेवन करते हैं। अतिरिक्त वसा दाल फ्राई, चावल, भरा हुआ परांठा, चुड़वा, बिसी बेले भात और पुलियोधरई यानी इमली के चावल जैसे व्यंजनों में अधिक होती है।

सर्वे के मानकों की आईएलएसआई ने की पुष्टि

सर्वेक्षण भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पोषण संस्थान (आईसीएमआर-एनआईएन) ने राष्ट्रीय पोषण निगरानी ब्यूरो के अध्ययन (2015-16), आईसीएमआर-एनआईएन, हैदराबाद के आंकड़ा संचय के आधार पर किया गया है। इस विश्लेषण की अंतरराष्ट्रीय जीवन विज्ञान संस्थान-भारत (आईएलएसआई-भारत) ने पुष्टि की है।

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