meherbai tata

ओलंपिक में जाने वाली पहली भारतीय महिला थी मेहरबाई टाटा

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टाटा ग्रुप कंपनी के दान-धर्म जैसे कार्यों से तो हम सब वाकिफ हैं। देश को भी जब-जब उनकी जरूरत पड़ी, वो आगे आए और टाटा कंपनी ने उसे संभाला है। आज टाटा ग्रुप को रतन टाटा संभाल रहे हैं और आज यह कंपनी जहां हैं उसके बारे में कोई शायद सोच भी नहीं सकता है, लेकिन एक ऐसा समय भी था, जब यह कंपनी डूबने के कगार पर थी।

एक समय था जब कंपनी भी बुरे दौर से गुजरी थी और आर्थिक रूप से कंगाल हो गई थी। हालांकि एक शख्स ऐसा था, जिसने उस समय अपनी बड़ी बेशकीमती चीज को गिरवी रख कंपनी को संभाला। वह महिला कंपनी को आर्थिक तंगी से बचाकर बाहर ले आई और कंपनी को दोबारा खड़ा करने में अपना पूरा सहयोग दिया था।

वह महिला लेडी मेहरबाई टाटा (Meherbai Tata) थीं। लेडी मेहरबाई टाटा जमशेदजी टाटा के बड़े बेटे सर दोराबजी टाटा की पत्नी थीं। लेडी मेहरबाई टाटा उस दौर में बहुत आगे की सोच वाली महिला थीं, जिन्होंने न सिर्फ अपनी कंपनी को डूबने से बचाया बल्कि बाल विवाह उन्मूलन से लेकर महिला मताधिकार तक और लड़कियों की शिक्षा से लेकर पर्दा प्रथा तक को हटाने की पुरजोर कोशिश भी की थी। आइए आज हम आपको लेडी मेहरबाई टाटा के बारे में विस्तार से बताएं।

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खेलों और पियानो में थी रुचि

लेडी मेहरबाई टाटा का जन्म 1879 में हुआ था। वह खुले विचार की थी और आगे चलकर महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई के लिए उन्होंने अपनी आवाज बुलंद भी की। खेल के प्रति रुचि रखने वाली मेहरबाई बहुमुखी प्रतिभा की धनी थी। शुरू से उन्हें टेनिस, घुडसवारी और पियानो बजाने का शौक था।

कोहिनूर से बड़ा हीरा था उनके पास

हरीश भट्ट ने अपनी किताब TataStories: 40 Timeless Tales To Inspire You में बताया है, कैसे ‘लेडी मेहरबाई टाटा’ ने कंपनी को बचाया था। दोराबजी टाटा लेडी मेहरबाई के लिए लंदन के व्यापारियों से 245.35 कैरेट जुबली हीरा खरीदकर लाए थे, जो कि कोहिनूर हीरा से दोगुना बड़ा था। 1900 के दशक में इसकी कीमत लगभग 1,00,000 पाउंड थी। विशेष प्लेटिनम चेन में लगा यह हीरा देख सभी चकित हो जाते थे। लेडी मेहरबाई टाटा इसे विशेष आयोजनों में ही पहना करती थीं।

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टाटा स्टील को बचाने के लिए गिरवी रखा अपना बेशकीमती हीरा

बात 1920 के दशक की है। टाटा स्टील एक बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा था और डूबने की कगार पर थी। दोराबजी टाटा को कुछ सूझ नहीं रहा था। तभी मेहरबाई ने जुबिली हीरा गिरवी रख कंपनी को डूबने से बचाया। तभी टाटा कंपनी आज हमारे सामने है। ऐसा कहा जाता है कि बाद में, इस हीरे को बेच दिया गया और उससे मिले पैसे से सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के निर्माण किया गया।

ओलंपिक में जाने वाली पहली भारतीय महिला थी मेहरबाई

जैसा कि हमने बताया कि मेहरबाई को टेनिस खेलने का काफी शौक था। उन्होंने टेनिस टूर्नामेंट में 60 से अधिक पुरस्कार जीते थे। इसके अलावा ओलंपिक टेनिस खेलने वाली भी वो पहली भारतीय महिला थीं। उनके बारे में दिलचस्प बात ये है कि वो सारे टेनिस मैच पारसी साड़ी पहनकर खेलती थीं।

meherbai tata firts woman to play in olympics

टेनिस ही नहीं वो एक बेहतरीन घुड़सवार होने के साथ-साथ कुशल पियानो वादक भी थीं। 1912 में जेपेलिन एयरशिप पर सवार होने वाली पहली भारतीय महिला भी थीं।

बाल विवाह अधिनियम बनाने में सहयोग किया

साल 1929 में भारत में बाल विवाह अधिनियम पारित किया है, जिसे शारदा एक्ट के नाम से भी जाना जाता है। इस अधिनियम को बनाने में मेहरबाई ने भी अपना सहयोग दिया था। उन्होंने भारत और विदेशों में छुआछूत और पर्दा व्यवस्था के खिलाफ भी लंबी लड़ाई लड़ी। वह भारत में महिलाओं की शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध थीं और नेशनल काउंसिल ऑफ वीमेंस की संस्थापक भी रही थीं।

लेडी मेहरबाई टाटा ग्रुप के साथ हमेशा खड़ी रहीं और वह देश की महिलाओं के लिए एक मिसाल बनीं।

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