शहीद दिवस विशेष

शहीद दिवस विशेष: ‘जीने की इच्छा मुझमें भी होनी चाहिए, मैं इसे छिपाना नहीं चाहता

678 0

नई दिल्ली। भारत में शहीद दिवस हर वर्ष 23 मार्च को मनाया जाता है। इसी दिन आधी रात में अंग्रेजी हुकूमतों ने भारत के स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु को फांसी पर लटका दिया था। देश के इन तीन भारतमात के वीर सपूतों को श्रद्धांजलि देने के लिए 23 मार्च को भारत शहीद दिवस के रूप में मनाता है।

फांसी से पहले भगत सिंह ने एक खत  उर्दू में लिखा था

देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की भी याद में शहीद दिवस मनाया जाता है। भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु को फांसी अंग्रेजों के खिलाफ लोहा लेने के लिए फांसी दी गई थी। भगत सिंह ने असेंबली में बम फेंका था। असेंबली में बम फेंकने के बाद वे भागे नहीं और जिसके नतीजतन उन्हें फांसी की सजा हुई थी। फांसी से पहले भगत सिंह ने एक खत लिखा था। भगत सिंह ने यह खत उर्दू में लिखा था। फांसी दिए जाने के बाद ये खत भारत के युवाओं में काफी मशहूर हुआ।

शहीद दिवस : शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 88 वीं पुण्यतिथि से पहले पढ़ें पांच विचार

आइए पढ़ते हैं भगत सिंह के आखिरी खत के कुछ अंश

कॉमरेड्स,
स्वाभाविक है कि जीने की इच्छा मुझमें भी होनी चाहिए। मैं इसे छिपाना भी नहीं चाहता हूं, लेकिन आज मैं एक शर्त पर जिंदा रह सकता हूं कि कैद होकर या पाबंद होकर न रहूं। मेरा नाम हिन्दुस्तानी क्रांति का प्रतीक बन चुका है। क्रांतिकारी दलों के आदर्शों और कुर्बानियों ने मुझे बहुत ऊंचा उठा दिया है, इतना ऊंचा कि जीवित रहने की स्थिति में इससे ऊंचा मैं हरगिज नहीं हो सकता।

आज मेरी कमजोरियां जनता के सामने नहीं हैं, लेकिन अगर मैं फांसी से बच गया तो वे जाहिर हो जाएंगी और क्रांति का प्रतीक चिह्न मद्धम पड़ जाएगा। ऐसा भी हो सकता है कि मिट ही जाए, लेकिन मेरे हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ने की सूरत में देश की माताएं अपने बच्चों के भगत सिंह की उम्मीद करेंगी। इससे आजादी के लिए कुर्बानी देने वालों की तादाद इतनी बढ़ जाएगी कि क्रांति को रोकना नामुमकिन हो जाएगा।

हां, एक विचार लेकिन आज भी मेरे मन में आता है कि देश और मानवता के लिए जो कुछ करने की हसरतें मेरे दिल में थीं, उनका 1000वां भाग भी पूरा नहीं कर सका। अगर स्वतंत्र, जिंदा रह सकता तब शायद उन्हें पूरा करने का अवसर मिलता और मैं अपनी हसरतें जरूर पूरी करता। इसके अलावा मेरे मन में कभी कोई लालच फांसी से बचे रहने का नहीं आया। मुझसे अधिक भाग्यशाली कौन होगा, आजकल मुझे स्वयं पर बहुत गर्व है। मुझे अब पूरी बेताबी से अंतिम परीक्षा का इंतजार है, कामना है कि ये और जल्दी आ जाए।

तुम्हारा कॉमरेड,
भगत सिंह

भगत, राजगुरु और सुखदेव ने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को लगाया था गले

भगत सिंह के साथ उनके साथी राजगुरु और सुखदेव ने फांसी के फंदे को आगे बढ़कर चूमा था। फांसी वाले दिन तीन वीर मुस्कुरा रहे थे। फांसी पर चढ़ने से पहले तीनों देशभक्तों ने गले लगाया था। लाहौर के जेल में जिस दिन तीनों वीरों को फांसी दी जा रही थी, सारे कैदियों की आंखे नम हो गईं थी। यहां तक कि कहा जाता है कि जेल के कर्मचारियों के फांसी देते वक्त हाथ कांप रहे थे। फांसी से पहले भगत सिंह का वजन काफी बढ़ गया था।

Related Post

CM Vishnu Dev Sai

मुख्यमंत्री साय ने मकर संक्रांति पर वर्ष 2025 के शासकीय कैलेंडर का किया विमोचन

Posted by - January 14, 2025 0
रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय(CM Vishnu Dev) ने आज मंगलवार को मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में मकर संक्रांति के शुभ अवसर…
CM Vishnu Dev Sai

मुख्यमंत्री साय ने ’’एक पेड़ मां के नाम’’ अभियान के तहत किया वृक्षारोपण

Posted by - September 8, 2024 0
रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (CM Sai) ने ’’एक पेड़ मां के नाम’’ अभियान के तहत किया वृक्षारोपण। मुख्यमंत्री विष्णु…