नई दिल्ली। मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मार्गशीर्ष पूर्णिमा (Margashirsha Purnima) के नाम से जाना जाता है। पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा विधि विधान से की जाती है। पूर्णिमासी का व्रत पूर्णिमा के दिन या पूर्णिमा के एक दिन पहले हो सकता है। यह पिछले दिन पूर्णिमा तिथि के शुरू होने के समय पर निर्भर करता है। इस दिन पूर्वजों को भी याद किया जाता है। इस दिन स्नान, दान और ध्यान विशेष फलदायी होता है। इस साल की आखिरी पूर्णिमा 30 दिसंबर को पड़ रही है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा मुहूर्त
मार्गशीर्ष, शुक्ल पूर्णिमा
प्रारम्भ – 07:54, दिसम्बर 29
समाप्त – 08:57, दिसम्बर 30
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मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत विधि
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- मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर आपका किसी तीर्थ स्थली पर जाकर नहाए। अगर यह नहीं हो पाए तो आपको सूर्योदय से पहले गंगाजल डालकर पानी से स्नान करना चाहिए।
- स्नान के बाद आपको व्रत का संकल्प लेना होगा और पूरे दिन इसे निष्ठा के साथ निभाना चाहिए।
- इस दिन वस्त्रों और खाने पीने की चीजों का दान करना चाहिए।
- झूठ बोलने से बचना चाहिए साथ ही दिन में सोने से भी परहेज करना चाहिए।
- गरीबों और ब्राम्हणों को भोजन करवाएं।
- प्याज, लहसुन या किसी भी प्रकार के मादक पदार्थ के सेवन से बचना चाहिए।
- इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करें।
- ये सब करने से भक्तों को मानसिक शांति मिलती है और कष्टों का निवारण होता है।