चित्रकूट। कामदगिरि परिक्रमा मार्ग स्थित संत गोस्वामी तुलसीदास के गुरु नरहरि दास महाराज के ‘महलन मंदिर’ में रामचरित मानस के किष्किन्धा कांड, अरण्य कांड, उत्तरकांड की समूची एवं अयोध्या कांड की हस्तलिखित आधी पांडुलिपियां 427 वर्षों से सुरक्षित रखी हुई हैं। इसके कागज न तो गले और न ही खराब हुए हैं। मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ रही सरकारों की उदसीनता के चलते आज तक इस अनमोल धरोहर को न तो संरक्षित करने और न ही पर्यटन विकास के समुचित प्रयास किये गये जिसकी वजह से चित्रकूट का यह महत्वपूर्ण स्थल पूरी तरह से उपेक्षा का शिकार है।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट के कामदगिरि परिक्रमा मार्ग (मध्य प्रदेश क्षेत्र) में 450 वर्ष पूर्व पन्ना के राजा मान सिंह ने गोस्वामी तुलसी दास के गुरु संत नरहरि दास की तपोस्थली को महल की तरह बनाया था। इस वजह से इस मंदिर को ‘महलन मंदिर’ के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर के बाहर आज भी गोस्वामी तुलसीदास जी के गुरु संत नरहरि दास जी की समाधि बनी हुई है। इसी के समीप कामदगिरि पर्वत पर एक गुफा है जिसमें गुरु नरहरि दास तप और साधना किया करते थे।
मंदिर के पुजारी सुखदेव दास महाराज ने बताया कि रामचरित मानस के रचयिता संत गोस्वामी तुलसीदास के गुरु नरहरि दास के इस पावन स्थल ‘महलन मंदिर’ में रामचरित मानस के किष्किन्धा कांड, अरण्य कांड, उत्तरकांड की समूची एवं अयोध्या कांड की हस्तलिखित आधी मूल पांडुलिपियां 427 वर्षों से सुरक्षित रखी हैं। मंदिर के पूर्व महंत राम सजीवन दास ने मंदिर में रखीं रामचारित मानस की हस्त लिखित पांडुलिपियों को ‘धार्मिक निधि’ मानते हुए संरक्षित किया था। सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट ने भी रुचि दिखाई तथा महंत राम सजीवन दास ने पुरातत्व विभाग का भी इस धार्मिक निधि को संरक्षित करने के प्रति ध्यान आकृष्ट कराया।
उन्होंने बताया कि तत्कालीन महंत राम सजीवन दास ने यहां की पांडुलिपियों का चित्रकूट (यूपी) के राजापुर स्थित तुलसी मंदिर में मौजूद अयोध्या कांड की पांडुलिपियों से मिलान कराया। जापान की हस्तलिपि विशेषज्ञ की टीम ने भी जांच में पाया था कि महलन मंदिर में रखीं रामचरित मानस की पांडुलिपियां तुलसी कालीन ही हैं। वर्ष 2004 में भारत सरकार के पुरातत्व विभाग ने इसे सुरक्षित करने के लिए जापानी पारदर्शी टिश्यू पेपर को इस पर लगाया है। ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित रखने के लिए कागज को लंबे समय तक सुरक्षित रखने वाले केमिकल का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
पुजारी सुखदेव दास ने बताया कि नरहरि दास ने महलन मंदिर में ही गोस्वामी तुलसीदास जी को गुरुमंत्र दिया था। तुलसीदास ने अवधी में कालजयी कृति रामचरित मानस लिखी, जो भारतीय समाज के सनातनियों के लिए पांच सदियों से धर्म ग्रंथ बना हुआ है। इसी के चलते दुनिया तुलसी के ही उस राम को जानती है जिसका चित्रण रामचरित मानस में हुआ है। उन्होंने बताया कि 1611 ईस्वी में जन्मे तुलसीदास का यज्ञोपवीत संस्कार 1618 ईस्वी में करने वाले संत नरहरिदास ही थे जिनका गुरुमंत्र पाकर तुलसीदास बड़े संत बने। रामभक्ति के शिखर पर पहुंचकर उन्होंने रामचरित मानस, कवितावली, जानकी मंगल, विनय पत्रिका, गीतावली तथा हनुमान चालीसा आदि की रचना की।
समाजसेवी ओम प्रकाश केशरवानी, ओंकर सिंह तथा अजय रिछारिया आदि का कहना है कि हम अपनी धार्मिक विरासतों के महिमा मंडन व संरक्षण के प्रति कितने संजीदा हैं इसका उदाहरण महलन मंदिर में रखी संत गोस्वाती तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस की उपेक्षित हस्तलिखित पांडु लिपियां हैं। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के राजापुर में तुलसी के रामचरित मानस की पांडुलिपियां रखी होने की जानकारी लगभग सभी को है लेकिन मध्य प्रदेश की सरकार की उपेक्षा के चलते ‘महलन मंदिर’ और वहां रखीं पांडु लिपियों के बारे में किसी को जानकारी नहीं है। प्रदेश में एक साल पूर्व तक ऐसी सरकार रही, जिसने राम के नाम पर 15 सालों तक राज किया लेकिन चित्रकूट के धर्म स्थलों की सुध तक नहीं ली। प्रदेश स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक राम के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें करने वाले राजनेताओें ने भी कभी इन ऐतिहासिक पांडुलिपियों को संरक्षित करने एवं गौरवशाली स्थल के पर्यटन विकास की पहल नहीं की।
सतना (मध्य प्रदेश) के जिलाधिकारी डॉ. सत्येंद्र सिंह का कहना है कि धर्म नगरी चित्रकूट में अब एक ऐसे संग्रहालय की जरुरत महसूस हो रही है, जिसमें भगवान श्रीराम के वनवास काल के स्मृति चिन्हों के अलावा गोस्वामी तुलसीदास की हस्त लिखित पांडुलिपियों को रखकर न केवल संरक्षित किया जा सके। बल्कि चित्रकूट आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं को दर्शन कराया जा सके। उन्होंने बताया कि इस बारे में कार्ययोजना बनाकर जल्द ही धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने की पहल की जायेगी।
उत्तर प्रदेश सरकार के लोक निर्माण मंत्री चन्द्रिका प्रसाद उपाध्याय का कहना है कि भगवान श्रीराम की तपोभूमि होने की वजह से चित्रकूट विश्व के करोड़ों हिन्दुओं के आस्था का केंद्र है। उन्होंने कहा कि कामदगिरि परिक्रमा मार्ग स्थित ‘महलन मंदिर’ में रामचरित मानस की हस्तलिखित पांडुलिपियां रखे होने की जानकारी मिली है। यह मंदिर मध्य प्रदेश में होने की वजह से उपेक्षित रहा है। उन्होंने बताया कि जल्द ही केंद्र सरकार को पत्र भेजकर उक्त प्राचीन धरोहर को संरक्षित करने की पहल की जायेगी।