मुंबई। महाराष्ट्र में शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन कर भले ही सरकार बना ली है, लेकिन इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर जोशी ने भाजपा और शिवसेना को एक साथ रहने का सुझाव दिया है। जोशी ने कहा कि मेरे विचार से ये बेहतर होगा कि भाजपा और शिवसेना एक साथ रहें, लेकिन दोनों दल फिलहाल ऐसा नहीं चाहते।
Former Chief Minister of Maharashtra & Shiv Sena leader, Manohar Joshi: In my opinion, it will be better if BJP & Shiv Sena stay together. But both the parties don't want it at present. pic.twitter.com/fNtNRLIQF0
— ANI (@ANI) December 10, 2019
बता दें कि महाराष्ट्र चुनाव के बाद भाजपा और शिवसेना के रास्ते अलग हो गए हैं। भाजपा शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा और स्पष्ट बहुमत हासिल किया, लेकिन शिवसेना ने सीएम पद के लिए 50-50 का फॉर्मूला रखकर नया विवाद छेड़ दिया। उद्धव ठाकरे ढाई साल के लिए सीएम पद को लेकर अड़ गए थे। नतीजतन भाजपा को शिवसेना से अलग होना पड़ा। शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली। उद्धव ठाकरे ने सीएम पद की कमान संभाली। पहली बार ठाकरे परिवार से कोई सीएम बना है।
हालांकि नागरिकता संशोधन विधेयक पर सियासी संग्राम के बीच शिवसेना ने अपने रुख को लेकर सस्पेंस बढ़ा दिया है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आज कहा कि सारी चीजें साफ होने तक इस बिल का समर्थन नहीं करेंगे। हालांकि पार्टी ने लोकसभा में इस बिल का समर्थन किया था। ऐसे रुख से भारी सस्पेंस पैदा हो गया है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर किसी नागरिक को इस विधेयक से डर लग रहा है तो उसकी शंका को दूर किया जाना चाहिए। वे सभी हमारे नागरिक हैं और उन्हें अपने सवालों का जवाब मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर कोई इस बिल से असहमत है तो उसे देशद्रोही कहना उनका भ्रम है। हमने राज्यसभा में पेश होने से पहले इस बिल में सुधार की मांग की है। ये एक भ्रम है कि सिर्फ भाजपा ही देश की चिंता करती है। इससे पहले सांसद संजय राउत ने भी इसे लेकर साफ साफ कुछ नहीं कहा। इस बिल को शिवसेना राज्यसभा में समर्थन देगी या नहीं, इस सवाल के जवाब में शिवसेना सांसद संजय राउत ने सिर्फ इतना ही कहा कि पार्टी का स्टैंड बुधवार को पता लगेगा।
वहीं, शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने बिल को समर्थन के सवाल पर कहा था, अलग अलग भूमिका होती है क्या हमारी? राष्ट्र के हित की भूमिका को लेकर शिवसेना हमेशा खड़ी रहती है, इस पर किसी का एकाधिकार नहीं है।