लखनऊ। लखनऊ में इमामबाड़ा क्षेत्र में घंटाघर पर 17 जनवरी से शुरु हुए CAA विरोधी प्रदर्शन को रविवार को एक महीना पूर्ण हो गया। एक माह की अवधि बीतने के बावजूद भी CAA, NRC के विरोध में प्रदर्शनकारी महिलाएं डटी हुई हैं।
प्रदर्शनकारी महिलाओं व लोगों के विरुद्ध अभी तक तीन एफआईआर दर्ज
इस प्रदर्शन में घरेलू महिलाओं से लेकर धर्मगुरुओं तक, राजनीतिक दल के लोगों से लेकर समाजसेवी संगठनों और लखनऊ पुलिस से लेकर केन्द्रीय सुरक्षा बल के जवान तक दिखलायी पड़ चुके है। प्रदर्शनकारी महिलाओं व लोगों के विरुद्ध अभी तक तीन एफआईआर दर्ज हुई है। धर्मगुरु कल्बे सादिक के बेटे कल्बे सिब्तेन, शेख ताहिर व आदिल नसीम समेत कई लोगों के खिलाफ नामजद और सैकड़ों लोगों के विरुद्ध अज्ञात में मुकदमे लिखे गये हैं। समाजवादी पार्टी की नेता पूजा शुक्ला समेत कई लोगों की मौके से पुलिस ने गिरफ्तारी भी की है। वहीं प्रदर्शन स्थल घंटाघर पर तमाशबीनों की भी बड़ी तादात सुबह शाम अपनी हाजिरी देती रहती है।
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लखनऊ पुलिस के अधिकारी घंटाघर के सामने पुलिस चौकी को अपना दफ्तर बनाये
लखनऊ पुलिस के एडीसीपी विकास चंद्र त्रिपाठी और उनकी सहायता करते हुए सहायक पुलिस आयुक्त डीपी तिवारी, चौक व आसपास के थानों के प्रभारी निरीक्षकों को भी प्रदर्शन के दौरान भारी कठिनाईयां उठानी पड़ी है। ठंड का मौसम बीतने को है और अभी भी लखनऊ पुलिस के अधिकारी घंटाघर के सामने पुलिस चौकी को अपना दफ्तर बनाये हुए है।
मशहूर शायर मुन्नवर राणा की दोनों बेटियों शुमैया और फौज़िया की प्रदर्शन के दौरान तबियत भी बिगड़ी और कुछ समय अस्पताल में भी रहना पड़ा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की बेटी के प्रदर्शन में शामिल होने और इसके बाद उप्र बाल संरक्षण आयोग की तरफ से बच्चों को प्रदर्शन में शामिल करने पर कार्रवाई करने की चेतावनी देना भी सामने आया।
उत्तर प्रदेश की मुख्य पार्टियों कांग्रेस, सपा या बसपा के नेताओं का प्रदर्शन में शामिल न होना
उत्तर प्रदेश की मुख्य पार्टियों कांग्रेस, सपा या बसपा के नेताओं का प्रदर्शन में शामिल न होना। इस बात को साबित करता दिखा कि जैसे वर्तमान भाजपा की केन्द्र में सरकार के विरुद्ध सभी बड़ी पार्टियों को मौन समर्थन है। वहीं छोटे राजनीतिक दल भीम आर्मी, रिहाई मंच, मुस्लिम लीग, एआईएमआईएम के नेता मौके पर पहुंचकर महिलाओं को बल देते हुए दिखलायी दिये। बीते 26 जनवरी को इन्हीं दलों के लोगों ने घंटाघर पर तिरंगे झंडे के साथ प्रदर्शन किया। मौजूदा समय में एफआईआर और गिरफ्तारियों से महिलाओं की संख्या कुछ हद तक घटी है, लेकिन सभी के एक पांव घर और दूसरे अभी भी घंटाघर पर ही है।