नई दिल्ली। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के (LPG) घरेलू गैस इस्तेमाल करने वाले वैध ग्राहकों को 30 लाख तक का दुर्घटना बीमा मुफ्त मिलता है। इससे होने वाली दुर्घटना में मौत की स्थिति में मृतक के परिजन को 6 लाख रुपये प्रति व्यक्ति का एक्सीडेंट कवर मिलता है।
बता दें ऑयल मार्केटिंग कंपनियां एक कॉम्प्रिहेन्सिव इंश्योरेंस पॉलिसी लेती हैं। इस पॉलिसी में LPG से जुड़ी दुर्घटनाओं की स्थिति में प्रभावित लोगों को जल्द राहत मिल सके। इन कंपनियों से रजिस्टर्ड सभी ग्राहकों को कवर मिलता है।
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गैस सिलेंडर के धमाके की वजह से लगने वाली चोटों, मौत या घरेलू प्रॉपर्टी के नुकसान की स्थिति में इंश्योरेंस कवर काम आ सकता है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियां और डीलर इस तरह की एक LPG गैस इंश्योरेंस पॉलिसी मुहैया कराते हैं, जो ग्रुप इंश्योरेंस कवर की तरह ही होती हैं। इंडियन ऑयल की वेब साइट के मुताबिक मौत की स्थिति में 6 लाख रुपये प्रति व्यक्ति का एक्सीडेंट कवर मिलेगा। हादसे में घायल होने पर मेडिकल खर्च के लिए प्रति एक्सीडेंट 30 लाख रुपये का मुआवजा मिलता है, जो प्रति व्यक्ति 2 लाख रुपये तक होता है। साथ ही प्रति व्यक्ति 25000 रुपये तक की तुरंत राहत सहायता भी है।
क्लेम राशि का विवरण
रसोई गैस सिलेंडर के साथ मिलने वाला इंश्यारेंस दो भागों में बंटा है-
सेक्शन- 1
सेक्शन- 1 के तहत एलपीजी सिलेंडर से हुए हादसे में नुकसान के लिए मुआवजा देनदारी प्रति घटना 50 लाख रुपये और प्रति व्यक्ति 10 लाख रुपये है। यह मुआवजा इन सूरतों में देय है-
- हादसा गैस एजेंसी के साथ पंजीकृत ग्राहक के घर पर हुआ हो।
- पंजीकृत डीलर के परिसर में हुआ हो।
- सिलेंडर को पेट्रोलियम कंपनी के यहां से डिस्ट्रीब्यूटर के यहां ले जाते वक्त रजिस्टर्ड ट्रांसपोर्ट कान्ट्रैक्टर के पास होने के दौरान हुआ हादसा।
- सिलेंडर डीलर के यहां से कर्मचारी या ग्राहक द्वारा ग्राहक के घर ले जाया जा रहा हो।
- बीमित के द्वारा कम्युनिटी किचन, रेटिकुलेटेड सिस्टम्स, अन्य चीजों जैसे गीजर, लाइटिंग, जनरेटर सेट, इरीगेशन पंप आदि में एलपीजी की सप्लाई के दौरान।
- पंजीकृत परिसरों में सिलेंडर को एलपीजी इंस्टॉलेशन से कनेक्ट और डिसकनेक्ट करने के दौरान।
सेक्शन- 2
इसके तहत ग्राहक के घर पर एलपीजी सिलेंडर की वजह से हादसे में हुए जान-माल के नुकसान के लिए पर्सनल एक्सीडेंट कवर देय है। हादसे में ग्राहक की प्रॉपर्टी/घर को नुकसान पहुंचता है तो प्रति एक्सीडेंट 2 लाख रुपये तक का इंश्योरेंस क्लेम मिलता है। हादसे में मौत होने पर प्रति एक्सीडेंट प्रति व्यक्ति 6 लाख रुपये का मुआवजा मिलता है। हादसे में घायल होने पर मेडिकल खर्च के लिए प्रति एक्सीडेंट 30 लाख रुपये का मुआवजा मिलता है, जो प्रति व्यक्ति 2 लाख रुपये तक होता है। साथ ही प्रति व्यक्ति 25000 रुपये तक की तुरंत राहत सहायता भी है।
व्यक्तिगत हानि और प्रॉपर्टी डैमेज के लिए मुआवजा इन सूरतों में हादसे के लिए देय है-
- भरा हुआ सिलेंडर बॉटलिंग प्लांट से बाहर ले जाया जा रहा हो।
- ट्रांसपोर्टेशन के दौरान
- भरा हुआ सिलेंडर डिस्ट्रीब्यूटर के यहां रखा हो।
- सिलेंडर डिस्ट्रीब्यूटर के यहां से ग्राहक के घर ले जाया जा रहा हो या फिर ग्राहक के यहां से भरा/खाली सिलेंडर डिस्ट्रीब्यूटर के यहां ले जाया जा रहा हो।
- भरा हुआ सिलेंडर ग्राहक के घर पर रखा हो।
- खाली सिलेंडर बॉटलिंग प्लांट में वापस लाया जा रहा हो।
- बीमित के द्वारा कम्युनिटी किचन, रेटिकुलेटेड सिस्टम्स, अन्य चीजों जैसे गीजर, लाइटिंग, जनरेटर सेट, इरीगेशन पंप आदि में एलपीजी की सप्लाई के दौरान।
- पंजीकृत परिसरों में सिलेंडर को एलपीजी इंस्टॉलेशन से कनेक्ट और डिसकनेक्ट करने के दौरान।
- शैक्षणिक संस्थानों, रिसर्च लैब्स, सरकारी/म्युनिसिपल हॉस्पिटल्स, मिड डे मील स्कीम, समाज कल्याण संस्थानों जैसे अनाथ आश्रम, वृद्धाश्रम आदि में एलपीजी के इस्तेमाल के दौरान रेस्टोरेंट, होटल, प्राइवेट हॉस्पिटल, क्लिनिक, पॉल्ट्री फार्म्स, सिरेमिक इंडस्ट्री, कॉटेज इंडस्ट्री, ग्लास इंडस्ट्री आदि में एलपीजी के इस्तेमाल के दौरान।
- ग्राहक द्वारा 5 किलो का सिलेंडर डिस्ट्रीब्यूटर के यहां से ले जाते वक्त।
क्लेम का प्रोसेस
इन सरकारी ऑयल मार्केटिंग द्वारा ली गई इंश्योरेंस पॉलिसी में सभी रजिस्टर्ड LPG ग्राहक शामिल होते हैं। ऐसे में इस तरह की किसी हादसे की स्थिति में व्यक्ति को तुरंत डिस्ट्रीब्यूटर को लिखित जानकारी देनी चाहिए। डिस्ट्रीब्युटर फिर इसकी जानकारी तेल कंपनी और इंश्योरेंस कंपनी को जानकारी देगा। इसके बाद तेल कंपनी की तरफ से संबंधित दुर्घटना की वजह से इंश्योरेंस क्लेम की औपचारिकताओं को पूरा किया जाएगा। और अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
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क्लेम के लिए जरूरी डाक्यूमेंट्स
एलपीजी हादसे में किसी की मौत होने की स्थिति में एलपीजी सिलेंडर की पेट्रोलियम कंपनी को मरने वाले के मृत्यु प्रमाण पत्र और पोस्टमार्टम रिपोर्ट की ओरिजिनल यानी मूल कॉपी जमा करनी होती है। वहीं हादसे में किसी के घायल होने के मामले में मेडिकल बिल, डॉक्टर के प्रिसक्रिप्शन यानी पर्चे, दवा खरीद का बिल, डिस्चार्ज कार्ड और हॉस्पिटल में भर्ती होने से संबंधित कोई भी अन्य दस्तावेज की मूल प्रति सौंपनी होती है। जबकि, हादसे में प्रॉपर्टी/घर को नुकसान होने की स्थिति में बीमा कंपनी अपनी एक सर्वे टीम भेजती है ताकि नुकसान का आंकलन किया जा सके। बीमा कंपनी क्लेम के निपटारे से जुड़ा फैसला बीमा पॉलिसीज के प्रावधानों के अनुरूप करती है।