मोहित सिंह
लखनऊ। देश में हो रहे लोकसभा चुनाव में किसको माननीय बनने का अवसर मिलेगा ये तो शायद किसी को नहीं पता हां कयास जरूर लगाये जा रहे हैं। चौथे चरण का मतदान हो चुका है अब पार्टियों की जिज्ञासा भी ये जानने के लिये बढ़ चुकी है कि किस पार्टी को मतदाताओं ने कितना पसंद किया है। चुनाव में सबसे अहम सीटों जिनपर भाजपा कांग्रेस और माया अशिलेश गठजोड़Þ के दिग्गज अपनी किस्मत आजममा रहें हैं इनमें कौन माननीय बनेगा इसका भी अंदाजा लगने लगा है । कुछ समाचार चैनलों ने तो रुझानी सर्वे में बताना शुरू कर दिया है । किसी में कांगेस को उठता हुआ बताया जा रहा है तो वहीं भाजपा को नुकसान होने का खतरा बताया जा रहा है।
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वहीं गठबंधन को भी कम नहीं आंका जा रहा है। बात अगर च्रदेश तक ही सीमित रहती तो अलग बात थी लेकिन सर्वे के अलावा अब तो बाकायदा अन्य प्रदेशों खासकर पश्चिम बंगाल को लेकर तो संघ और मोदी भी मुखर हो चुके हैं। मोदी तो बाकायदा इतने मुतमईन ही नहीं बल्कि वो इतना कॉन्फीडेन्ट हो चुके हैं कि उन्हें अब ममता की नैया डूबती दिख रही है बल्कि वो अब तो कहने भी लगे हैं कि ममता की पार्टी अब पश्चिम बंगाल से उसी तरह उखड़ जायेगी जैसे किसी समय ममता ने कम्युनिष्टों को इस राज्य से बेदखल कर दिया था। वहीं संघ भी इसी कॉन्फीडेन्स में है कि इस बार बंगाल में भगवा का फहरना तय है। पार्टी सूत्रों का भी मानना है कि इस राज्य में चार पांच नहीं बल्कि सभी सीटों पर कमल खिलेगा। और तो और उड़ीसा मध्यप्रदेश राजस्थान दिल्ली ,हरियाणा छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र में भी परचम फहरने की बात की जा रही है।
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लेकिन क्या दावे सही में सच साबित होंगे या फिर ऐसा दावे मात्र राजनीतिक स्टंट बाजी है। हालांकि ये तो मोदी विरोधी भी जानते है कि मोदी ने उन्हीं से शायद सीखा है कि कैसे चुनाव को जीता जाता है। विरोधी दल इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ हैं कि जो उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान हथकंडे अपनाते रहे वहींअब उनके गले की फांस बन चुके हैं । इसीलिये गठबंधन और राहुल की कांग्रेस ने ईवीएम का रोना गाना शुरू कर दिया है। उत्तर भारत ही नहीं अब देश में हो रहे चुनाव में अब विकास का मुद्दा नहीं राष्ट्रवाद ही मुद्दा बनता दिख रहा है।शायद इसी बात से संघ और भाजपा गदगद ही नहीं बल्कि पूरी तरह से आश्वस्त हो चुकी है कि उसे भारत की बागडोर एक बार फिर सौंपी जायेगी।