केंद्रीय कैबिनेट ने देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के विनिवेश को मंजूरी दे दी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी. अधिकारी के मुताबिक, वित्त मंत्री की अगुवाई वाली एक समिति एलआईसी में हिस्सेदारी बिक्री की मात्रा तय करेगी। इसे भारतीय कॉरपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ कहा जा रहा है। एलआईसी कानून में बजट संशोधनों को अधिसूचित कर दिया गया है।
कोरोना संकट के बीच निजीकरण की तरफ तेजी से बढ़ रही मोदी सरकार ने भारतीय जीवन बीमा निगम को भी निजी हाथों में सौंपने का रास्ता साफ कर दिया। मोदी सरकार के इस फैसले पर दलित कांग्रेस अध्यक्ष एवं महाराष्ट्र के बिजली मंत्री ने तंज कसते हुए इसे सरकार की लाचारी बताया। नितिन राऊत ने कहा- जैसे किसी व्यक्ति को शराब की लत लग जाती है तो वह अपना कीमती सामान बेच देता है ठीक उसी तरह मोदी सरकार को निजीकरण की लत लग गई है।
उन्होंने आगे लिखा- प्लेटफॉर्म, एयरपोर्ट, भारत पेट्रोलियम के बाद अब एलआईसी बेच दिया, उन्होंने मोदी सरकार की तुलना अंग्रेजो से की। मोदी सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है, 1 लाख करोड़ सार्वजनिक क्षेत्र एवं संस्थानों में सरकार की हिस्सेदारी कम करके जुटाए जाएंगे।
LIC की तरफ से जारी लेटेस्ट एनुअल रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2019-20 के खत्म होने पर एलआईसी की टोटल असेट 32 लाख करोड़ रुपए मानी जा रही है। डोमेस्टिक इंश्योरेंस सेक्टर में उसका मार्केट शेयर 70 फीसदी के करीब है। सरकार के पास इस समय कंपनी में 100 फीसदी हिस्सेदारी है।
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बता दें कि आईडीबीआई बैंक में भी सरकार की हिस्सेदारी के साथ LIC की हिस्सेदारी बेची जाएगी। केंद्र सरकार और एलआईसी दोनों की मिलाकर आईडीबीआई बैंक में 94 प्रतिशत हिस्सेदारी है। एलआईसी के पास फिलहाल बैंक का प्रबंधन नियंत्रण है। बैंक में उसकी हिस्सेदारी 49.24 प्रतिशत है। वहीं सरकार की बैंक में 45.48 प्रतिशत हिस्सेदारी है. गैर-प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 5.29 प्रतिशत है।