मनोरंजन डेस्क. अक्षय कुमार और कियारा आडवाणी की फिल्म ‘लक्ष्मी’ 9 नवम्बर को रिलीज हो चुकी है. कोरोना काल की वजह से फिल्म सिनेमाघरों की बजाय डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज किया गया है. फिल्म विवादों की वजह से काफी सुर्ख़ियों में बनी हुई थी, फिर चाहे वो फिल्म के नाम को लेकर हो या फिल्म की कहानी को या एंट्री सॉंग को लेकर. अक्षय की ये मूवी एक हॉरर-कॉमेडी और ट्रांसजेंडर बेस्ड फिल्म है. जिसमे कॉमेडी और डर के साथ एक सोशल मेसेज भी मिलता है.
फिल्म ‘लक्ष्मी’ साउथ की सुपरहिट फिल्म ‘कंचना’ का रीमेक है जिसे राघव लॉरेंस ने डायरेक्ट किया है. अक्षय कुमार द्वारा प्रोड्यूस्ड फिल्म लक्ष्मी फॉक्सस्टार स्टूडियो, तुषार कपूर और केप ऑफ गुड फिल्म्स बैनर तले बनी है. फिल्म में अक्षय और कियारा के अलावा शरद केलकर, अश्विनी कल्सेकर, मनू ऋषि और आयशा रजा भी हैं.
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कहानी
आसिफ (अक्षय कुमार) और रश्मि (कियारा) की शादी हुई है लेकिन यह इंटर रिलीजन है। दोनों ने भाग के शादी की थी। आसिफ चाहता है कि उसकी पत्नी रश्मि एक बार फिर अपने परिवार से मिले और उनसे जुड़े। रश्मि के मां-बाप की शादी की सिल्वर जुबली ऐनिवर्सी है और फिर उसकी मां उसे घर बुलाती है, बस यहीं से हो जाती इस फिल्म की कहानी शुरू। आसिफ फैसला लेता है कि इस बार तो वो रश्मि के परिवार को मनाकर रहेगा। लेकिन घर आते वक्त आसिफ उस जमीन पर पहुंच जाता है जहां उसे नहीं जाना चाहिए था और उसने उसकी पूरी जिंदगी बदल जाती है। आसिफ हर बात पर बोलता है, ‘मां कसम चूड़ियां पहन लूंगा’। और फिर उसे चूड़ियां पहननी ही पड़ती हैं क्योंकि उसके भीतर एक आत्मा आ गई है। लेकिन आसिफ ने चूड़ियां क्यों पहनी हैं, उसका एक उद्देश्य है जो बेहद इमोशनल है और वह आपको फिल्म देखकर ही पता चलेगा।
रिव्यू
फिल्म में अक्षय की एंट्री शानदार है। उन्होंने वही किरदार निभाया जो ‘कंचना’ में राघव लॉरेंस ने निभाया था।जिन लोगों ने ‘कंचना’ देखी है वह ना चाहते हुए भी अक्षय के अभिनय की तुलना राघव से करने के लिए मजबूर हो जाएंगे।इसका कारण है कि जहां भी वह ‘लक्ष्मी’ के रूप में दिखे, वहां ऐसा लगता है कि वह राघव को कॉपी करने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि उन्होंने आसिफ की भूमिका को खूबसूरती से निभाया है।कियारा के पास पिछली फिल्मों की तरह इस बार भी करने के लिए बहुत कुछ नहीं है। हालांकि, उन्हें जितना कहा गया उन्होंने उसे ठीक-ठाक निभाया है। राजेश शर्मा, आएशा रजा और मनु ऋषि बेहतरीन कलाकार हैं, लेकिन फीके साबित हुए और इसमें दोष निर्देशक का है।वहीं, शरद केलकर ने फिल्म में ‘लक्ष्मी’ का किरदार निभाया है। उन्होंने किन्नर की भूमिका को बेहद खूबसूरती से पर्दे पर उतारा है। उनका रोल छोटा और काफी दमदार है। जो दर्शकों पर छाप छोड़ने में कामयाब रहता है।
अगर आपने कंचना देखी है तो समझ जाएंगे कि लक्ष्मी में उसी कहानी को दोहराया गया है, लेकिन कुछ नयापन है। इसके बावजूद फिल्म में कई खामियां नज़र आएंगी। एक गाने ‘बुर्ज खलीफा’ के अलावा कोई दूसरा गाना याद नहीं रहेगा। कहानी कई बार अपने मुद्दे से भटकती नज़र आती है। दमदार डायलॉग्स की कमी खलेगी।
देखा जाए तो कुल मिलाकर फिल्म लक्ष्मी दर्शकों की उम्मीदों पर खरी नही उतर पायी।