उत्तराखंड। कुमाऊं में होली गायन (Kumaon Bethaki Holi ) की समृद्ध परंपरा रही है। वर्तमान में युवाओं ने यूट्यूब, फेसबुक, ट्विटर, इस्टाग्राम के अलावा अन्य संचार माध्यमों से होली को और अधिक समृद्ध बनाने का काम किया है। महानगरों में रहने वाला उत्तराखंडी समाज भी होली गायन (Kumaon Bethaki Holi) की परंपरा का निर्वहन करने लगा है।
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कुमाऊं में चंद राजवंश से ही होली गायन (Kumaon Bethaki Holi) की परंपरा मानी जाती है। होली गायन हर्ष, उल्लास के साथ ही ऋतु परिवर्तन का प्रतीक माना जाता है। कुमाऊं मंडल में होली की अष्टमी को देव मंदिरों में चीर बंधन किया जाता है। रंगभरनी एकादशी पर होली के एक निश्चित आंगन में चीर और ध्वजा बंधन के साथ होली गायकी शुरू हो जाती है।
पुरुष और महिलाएं विशेष परंपरागत पोशाक में होली गायन (Kumaon Bethaki Holi) करते हैं। प्रत्येक व्यक्ति के आंगन में होली गायकों की टोली पहुंचती है। होली गायन का यह क्रम एकादशी से छरड़ी (रंग की होली) तक जारी रहता है।