लाइफस्टाइल डेस्क. कुछ दिनों बाद धनतेरस का त्योहार आने वाला है. हिन्दू धर्मं में इस पर्व का ख़ास महत्व है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाई जाती है. जो छोटी दिवाली से एक दिन पहले आता है. इस वर्ष धनतेरस 13 नवंबर के दिन यानी शुक्रवार को है. धन तेरस के दिन भगवान धनवंतरि की और महालक्ष्मी के सचिव कुबेर का पूजन होता है. इस दिन चांदी के आभूषण और बर्तन आदि चीजें खरीदना शुभ माना जाता है.
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धनतेरस का महत्व
माना जाता है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन समुद्र मंथन के दौरान, अमृत का कलश लेकर धनवंतरी प्रकट हुए थे. तभी से इस दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाने लगा. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, धनवंतरी के प्रकट होने के ठीक दो दिन बाद मां लक्ष्मी प्रकट हुईं थीं. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक़ धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजन करने से धन-धान्य की कमी नहीं होती और लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा भी इस दिन घर में लानी चाहिए. इस दिन स्वास्थ्य रक्षा के लिए धनवंतरी देव की उपासना की जाती है. इस दिन को कुबेर का दिन भी माना जाता है और धन संपन्नता के लिए कुबेर की पूजा की जाती है. धनतेरस के दिन संध्या के समय में घर के बाहर एक दीपक जलाने की भी प्रथा है. यह दीपक यमराज के लिए जलाया जाता है. जिससे यमराज खुश होते हैं और परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से सुरक्षा प्रदान करते हैं.
धनतेरस 2020 पूजा मुहूर्त
इस वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 12 नवंबर दिन गुरुवर को रात 09 बजकर 30 मिनट से हो रहा है, जो 13 नवंबर दिन शुक्रवार को शाम 05 बजकर 59 मिनट तक है. ऐसे में धनतेरस 13 नवंबर को है. इस बार धनतेरस की पूजा के लिए 30 मिनट का शुभ मुहूर्त है. आपको धनतेरस की पूजा शाम को 05 बजकर 28 मिनट से शाम को 05 बजकर 59 मिनट के मध्य कर लेनी चाहिए. भगवान धनवंतरि की पूजा इस समयकाल के दौरान की जा सकती है.
पूजा की विधि
धनतेरस पर शाम के वक्त उत्तर की ओर कुबेर और धनवंतरी की स्थापना करनी चाहिए. दोनों के सामने एक-एक मुख का घी का दीपक जरूर जलाना चाहिए. धनतेरस के दिन कुबेर को सफेद मिठाई और धनवंतरी को पीली मिठाई चढ़ाना भी शुभ माना जाता है. इस दिन सबसे पहले “ॐ ह्रीं कुबेराय नमः” का जाप करना. इसके बाद “धनवंतरी स्तोत्र” का पाठ करने से बहुत लाभ होता है.
– पूजा के बाद दीपावली पर कुबेर को धन स्थान पर और धनवंतरी को पूजा स्थान पर स्थापित करें.