नई दिल्ली। भारत में जब मार्च में कोरोना वायरस ने महामारी का रूप धारण किया। इसके बाद लगातार डेटा आना शुरू हुआ और कई सवाल खड़े हुए कि भारत में वायरस कितना फैलेगा? कब तक कहर बरपाएगा? कैसे चरम पर पहुंचेगा और कब इससे निजात मिलेगी? इसके अलावा कोविड-19 का कहां कितना और कैसा असर पड़ेगा?
इन तमाम सूचनाओं और डेटा को ठीक से समझने और समझाने की ज़रूरत थी। ऐसे में वॉशिंग्टन के थिंक टैंक ब्रुकिंग्स इंस्टिट्यूट के भारत केंद्र में रिसर्च की पूर्व निदेशक रह चुकीं डॉ. शमिका रवि ने यह बीड़ा उठाया।
शमिका पिछले दो महीनों से कोविड-19 के डेटा का विश्लेषण कर सरलता से महत्वपूर्ण पहलुओं को लोगों को समझाने का कर रही हैं काम
बता दें कि ट्विटर पर डॉ. शमिका को करीब 85 हज़ार से ज़्यादा लोग फॉलो करते हैं। शमिका पिछले दो महीनों से कोविड-19 के डेटा का विश्लेषण कर सरलता से महत्वपूर्ण पहलुओं को लोगों को समझाने का काम कर रही हैं। शमिका प्रतिदिन एक ट्वीट से शुरूआत करने के बाद अब वह दिन में करीब 10 ट्वीट तक करती हैं। देश ही नहीं दुनिया में कोरोना वायरस से जुड़े विश्लेषण को लेकर शमिका सबसे भरोसेमंद नामों में शुमार हो गई हैं। आइए बतातें हैं कि भारत में कोरोना महामारी को लेकर उनके निजी विचार क्या हैं?
डॉ. शमिका ने कहा कि अगर आप शिक्षा देने से जुड़े हैं तो आप 9 से 5 बजे तक की नौकरी की मानसिकता के साथ काम नहीं कर सकते हैं, लेकिन यह फुल टाइम काम है। अगर आप हर समय समस्याओं और रिसर्च में आने वाले मुद्दों पर सोचते रहते हैं। यह कहना है कोविड-19 स्टैटिसटिशियन या ‘कोविड-19 कैल्कुलेटर’ खिताब धारक शमिका का।
जानें कैसे काम करती हैं डॉ. शमिका?
- कोविड-19 से जुड़े हर तरह के डेटा या सूचना को विस्तृत अध्ययन के बाद उसे सारांश रूप में सरलता से समझाना।
- स्पष्टता के लिए शमिका ग्राफ और ग्राफिक्स का इस्तेमाल करते हुए एक्सेसिबल फॉर्मेट में प्रस्तुत करना।
- शमिका डेटा का तुलनात्मक अध्ययन भी करती हैं, मसलन भारत में एक्टिव केसों के बढ़ने की रफ्तार दुनिया के अन्य देशों की तुलना में कैसी है?
- एक तय समय पर ही शमिका ट्वीट करती रही हैं। सुबह 9 से 10 बजे के बीच पहले ट्वीट में अगर वह कभी लेट भी हुईं तो माफी मांगती रही हैं।
जानें डॉ. शमिका ने शुरू कैसे किया काम?
ओपन पत्रिका को डॉ. शमिका ने बताया कि उनके पति और भारतीय सांख्यिकी केंद्र में प्रोफेसर मुदित कपूर के साथ उन्होंने कोविड-19 के शुरूआती दौर में बातचीत की। तो समझा कि भारत में स्थितियां कैसे आकार ले सकती हैं? मुदित की मदद के साथ शमिका ने अपना काम शुरू किया। जल्द ही यह काम उनका निजी नहीं बल्कि प्रोफेशनल मॉडल बन गया।
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डॉ. शमिका के इस काम की प्रेरणा?
कोविड-19 के संबंध में जब शमिका ने अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों की राय और डेटा को समझा। तो उन्हें इस बारे में लोगों को सरलता से समझाने की प्रेरणा मिली। उदाहरण के तौर पर, शमिका ने वॉशिंग्टन बेस्ड विशेषज्ञ रामानन लक्ष्मीनारायण के अनुमानों को समझा। मार्च के मध्य में लक्ष्मीनारायण ने अंदाज़ा दिया था कि बहुत बुरा हुआ तो भारत में 70 करोड़ लोग कोरोना संक्रमित होंगे और अगर बहुत बेहतर परिदृश्य रहा तो 20 करोड़। लक्ष्मीनाराण के मुताबिक लॉकडाउन से संक्रमण का चरम देर से आएगा लेकिन आएगा ज़रूर।
भारत में कोविड-19 संबंधी डेटा को लेकर शमिका पूरी तरह संतुष्ट नहीं
भारत में कोविड-19 संबंधी डेटा को लेकर शमिका पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने साफ कहा कि ‘हमारे पास लोकल डेटा नहीं है। जैसे तमिलनाडु में संक्रमण क्लस्टर से फैलता है, लेकिन मुंबई की धारावी जैसी बस्ती में सघनता के कारण। इसलिए अगर हमारे पास ज़मीनी स्तर का डेटा नहीं होगा, तो भारत में संक्रमण को लेकर समझ बना पाना बेहद मुश्किल होगा। अभी हम सिर्फ उस डेटा पर काम कर रहे हैं, जो मौजूद है। अगर हमें स्थानीय स्तर पर रणनीति बनाना है, तो ज़िला स्तर तक का बेहद स्थानीय डेटा चाहिए।
शमिका की तारीफ करने वालों में दिग्गज
सिस्टम में राजनीतिकों के साथ ही कार्यकारी फोर्स यानी ब्यूरोक्रेसी के साथ जुड़कर काम करने वाली शमिका के प्रशंसकों में नामी गिरामी लोग शुमार हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा कह चुके हैं कि शमिका अपने विश्लेषण में बहुत स्पष्ट और बेहतरीन है। ऐसी कई तारीफें शमिका को अक्सर सुनने को मिलती रहती हैं।
कैसे भरोसेमंद नाम बनीं ?
अप्रैल में ट्विटर ने एक लिस्ट जारी की थी, जिनमें उन 29 अकांउट्स का उल्लेख था, जो दुनिया भर में कोविड-19 संकट को लेकर बराबर निगाह रखते हुए पुष्ट और बेहतरीन जानकारियां दे रहे थे। इस लिस्ट में दुनिया के विज्ञान पत्रकारों से लेकर संक्रामक रोग के विशेषज्ञों तक के ट्विटर अकाउंट शामिल थे और इन्हीं में एक नाम शमिका रवि का भी था।
कैसा रहा है अब तक का अनुभव?
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने के बाद करीब 15 साल पहले भारत लौटीं शमिका ने अर्थव्यवस्था से जुड़े विषयों पर काम किया। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद में सदस्य रह चुकीं शमिका आईएसबी में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर भी रही हैं। इसके अलावा, लैंगिक असमानता, माइक्रोफाइनेंस, गेम थ्योरी और लोक स्वास्थ्य जैसे विषयों और सेक्टरों में भी शमिका काम कर चुकी हैं।