भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार को एक बार फिर चेताया है कि अन्नदाता सबक सिखाना जानते हैं। टिकैत ने शनिवार को कहा- ‘किसान संसद’ से किसानों ने गूंगी-बहरी सरकार को जगाने का काम किया है। उन्होंने आगे कहा कि किसान संसद चलाना भी जानता है और अनदेखी करने वालों को गांव में सबक सिखाना भी जानता है। भुलावे में कोई न रहे।
बता दें कि अन्नदाताओं ने सुरक्षा व्यवस्था के बीच मध्य दिल्ली के जंतर मंतर पर ‘किसान संसद’ लगा रहे हैं। किसानों के मुताबिक, इस किसान संसद का मकसद यह दिखाना है कि अपने 600 लोगों की जान गंवाने के बाद भी उनका आंदोलन अब भी जारी है। किसान इन दिनों जंतर मंतर पर जाकर संसद भी लगा रहे हैं और अपना विरोध सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। इसको लेकर टिकैत ने कहा कि जंतर-मंतर पर मानसून सत्र के दौरान किसान संसद चल रही है। रोजाना 200 किसान संसद में पहुंच रहे है।
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जब तक मानसून सत्र चलेगा तब तक किसान संसद चलेगी। किसान अपनी बात से पीछे हटने वाले नहीं है। उन्होंने कहा कि हम हमेशा बातचीत के लिए तैयार है लेकिन सरकार शर्त लगाकर बातचीत करना चाहती है जो हमें मंजूर नहीं है।कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-यूपी को जोड़ने वाले गाजीपुर बॉर्डर पर धरना का नेतृत्व कर रहे राकेश टिकैत ने कहा, किसान संसद से किसानों ने गूंगी-बहरी सरकार को जगाने का काम किया है। किसान संसद चलाना भी जानता है और अनदेखी करने वालों को गांव में सबक सिखाना भी जानता है। भुलावे में कोई ना रहे। उन्होंने ये भी कहा कि भारत की आत्मा किसान है, किसान बचेगा, तभी भारत की आत्मा और आजादी बचेगी।