विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने आरोप लगाया कि एलडीएफ सरकार ने निजी समूह के साथ उच्च दामों में बिजली खरीदने के लिए एक अनुबंध किया है। इस अनुबंध में भ्रष्टाचार किया गया है। अनुबंध की जानकारी देते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि अडाणी समूह से 300 मेगावॉट (एमवी) की बिजली उच्च दाम में खरीदने के लिए अनुबंध किया गया है।
वाम सरकार ने यह भ्रष्टाचार का सौदा करने के लिए केन्द्र की भाजपा सरकार के साथ मिलीभगत की है। कांग्रेस के नेता ने दावा किया कि 8850 करोड़ रुपये की बिजली खरीदने के लिए अडाणी समूह के साथ 25 साल का अनुबंध किया गया है। इसके जरिए कॉरपोरेट समूह को एक हजार करोड़ रुपये से अधिक का फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि इस अनुबंध के जरिए लोगों पर भारी बोझ डाला गया है। राज्य और केन्द्र सरकार दोनों इस अनुबंध के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं। अभी सौर ऊर्जा दो रुपये में उपलब्ध है। चेन्निथला ने पूछा कि फिर क्यों 2.82 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदने के लिए निजी समूह के साथ एक अनुबंध किया गया।
उन्होंने अलप्पुझा में पत्रकारों से कहा कि इस प्रकार, आम आदमी को प्रति यूनिट 25 साल तक एक रुपया अतिरिक्त देना होगा। इससे अडाणी समूह को एक हजार करोड़ रुपये तक का फायदा होगा। विपक्ष के नेता ने कहा कि राज्य विद्युत बोर्ड द्वारा 2019 जून और सितम्बर में केन्द्र की कंपनी सौर ऊर्जा निगम लिमिटेड (एसईसीएल) के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद राज्य में अडाणी के साथ व्यापारिक अनुबंध करने के रास्ते खुल गए थे।
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कन्नूर में पत्रकारों से बात करते हुए इन आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि चेन्निथला को इस बात से ईर्ष्या है कि एलडीएफ सरकार के पांच साल के शासन में बिजली नहीं गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस लिए वह राज्य के बिजली विभाग के अनुबंधों को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।