केरल के वाटकारा की रहने वाली 77 साल की मिनाक्षी अम्मा भारत के सबसे पुराने कलारीपयट्टू युद्ध कौशल की अग्रदूत प्रतिनिधि हैं। वे मार्शल आर्ट की इस पुरानी कला को बढ़ावा देने में जी-जान से जुटी हैं। उन्हें साड़ी पहनकर घंटो प्रैक्टिस करते हुए देखा जा सकता है। महज सात साल की उम्र में उन्होंने इसे सीखने की शिक्षा लेना शुरू कर दिया था। मिनाक्षी के विद्यार्थियाें में अधिकांश लड़कियां हैं जिनकी उम्र 6 से 26 साल के बीच है।
मिनाक्षी ये मानती हैं कि इस कला को जितनी कम उम्र से सीखा जाए, आप उसमें उतनी ही जल्दी महारत हासिल करते हैं। उनके आर्ट स्कूल में फीस नहीं ली जाती। हर साल के आखिर में उनके विद्यार्थी अपनी मर्जी से जो चाहे, वो गुरू दक्षिणा दे सकते हैं। उनके ऐसे कई विद्यार्थी हैं जो यहां सीखकर इस कला को आगे बढ़ा रहे हैं।
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मिनाक्षी के अनुसार, मेरे पिता ने कभी मुझे कलारीपयट्टू सीखने से नहीं रोका। वे इस कला को अपने लिए वरदान मानती हैं। उनकी शादी राघवन मास्टर से हुई जो खुद एक स्कूल टीचर थे। उन्होंने अपना खुद का ट्रेनिंग स्कूल खोला जहां कोई भी इस कला को सीख सकता था। यहीं 17 साल की उम्र में मिनाक्षी ने कलारीपयट्टू का प्रशिक्षण देने की शुरुआत की। मिनाक्षी का इस कला के प्रति समर्पण देखकर उनकी दो बेटी और दो बेटों ने भी छह साल की उम्र में इसे सीखना शुरू किया। 2017 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया। इस उम्र में उनका जोश देखकर ये कहना गलत नहीं होगा कि उम्र सिर्फ एक नंबर है।