हिंदू धर्म में कलावा (Kalava) अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. किसी भी शुभ कार्य के समय हाथ में कलावा (Kalava) या मौली बांधने का चलन प्राचीन काल से चला आ रहा है. इसे रक्षा सूत्र भी कहा जाता है. मान्यता है कि इसे हाथ में बांधने से व्यक्ति की हर तरह से रक्षा होती है. लाल और पीले रंग से बने कलावे (Kalava) को लेकर धर्म शास्त्रों में कई सारी मान्यताएं प्रचलित हैं. मान्यताओं के अनुसार जीवन में आने वाले संकट और परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए कलावा बांधा जाता है. कलावा (Kalava) बांधने से त्रिदेवों और तीन महादेवियों की कृपा बनी रहती है. तीन देवियों मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और महाकाली से धन सम्पति, विद्या-बुद्धि और शक्ति की प्राप्ति होती है.
कलावा (Kalava) बांधने को लेकर कई नियम हैं. जिनमें किस दिन बांधना चाहिए, किस दिन खोलना चाहिए, कितनी बार लपेटना चाहिए, किस हाथ में बांधा जाता है. इन सब के बारे में बताया गया है. आइए जानते हैं कलावा बांधते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
किस दिन खोलना चाहिए कलावा (Kalava) ?
भोपाल के रहने वाले पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा के अनुसार रक्षा सूत्र या कलावा (Kalava) ऐसे किसी भी दिन नहीं खोल सकते. इसे बांधने से जातक की रक्षा होती है. इसलिए इसे खोलने के लिए मंगलवार या शनिवार का दिन सबसे उत्तम माना जाता है. इसे खोलने के बाद पूजा घर में बैठकर दूसरा कलावा बांध लेना चाहिए.
किस हाथ में बांधना चाहिए कलावा (Kalava) ?
कलावा (Kalava) बांधने का भी नियम है. पुरुषों और कुंवारी कन्याओं को दाहिने हाथ में और विवाहित महिलाओं को बाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए.
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कलावा (Kalava) कितनी बार लपेटना चाहिए?
कलावा (Kalava) बांधते समय कभी भी हाथ खाली नहीं होना चाहिए. जिस हाथ में कलावा बांधा जाता है. उसमें एक सिक्का होना चाहिए और दूसरा हाथ सिर के ऊपर रखना चाहिए. सामने खड़े व्यक्ति से दो, तीन या पांच बार हाथ में कलावा लपेटवाएं. उसके बाद हाथ में रखी दक्षिणा उस व्यक्ति को भेंट करें.
कहां रखें पुराना कलावा (Kalava)?
कलावा पुराना (Kalava) होने के बाद उसे यहां-वहां कहीं भी नहीं फेंकना चाहिए. कलावा निकालकर या तो पीपल के पेड़ के नीचे रखें या फिर किसी बहते पानी में प्रवाहित करें.