कानपुर। पद्मश्री विजेता साहित्यकार 83 वर्षीय गिरिराज किशोर का रविवार सुबह उनके निवास पर निधन हो गया है। मुजफ्फरनगर निवासी गिरिराज किशोर कानपुर में बस गए थे। यहां के शूटरगंज में रहते थे। गिरिराज किशोर के निधन से साहित्य के क्षेत्र में शोक छा गया। सोमवार सुबह 10 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
गिरिराज हिन्दी के प्रसिद्ध उपन्यासकार होने के साथ-साथ एक सशक्त कथाकार, नाटककार और आलोचक थे
गिरिराज हिन्दी के प्रसिद्ध उपन्यासकार होने के साथ-साथ एक सशक्त कथाकार, नाटककार और आलोचक थे। इनके सम-सामयिक विषयों पर विचारोत्तेजक निबंध विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से प्रकाशित होते रहे हैं।
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इनका उपन्यास ढाई घर अत्यन्त लोकप्रिय हुआ
इनका उपन्यास ढाई घर अत्यन्त लोकप्रिय हुआ था। वर्ष 1991 में प्रकाशित इस कृति को 1992 में ही साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। गिरिराज किशोर द्वारा लिखा गया पहला गिरमिटिया नामक उपन्यास महात्मा गांधी के अफ्रीका प्रवास पर आधारित था, जिसने इन्हें विशेष पहचान दिलाई।
आईआईटी कानपुर में कुलसचिव रहे पद्मश्री गिरिराज किशोर का जन्म 8 जुलाई 1937 को मुजफ्फरनगर में हुआ था
साहित्यकार व आईआईटी कानपुर में कुलसचिव रहे पद्मश्री गिरिराज किशोर का जन्म 8 जुलाई 1937 को मुजफ्फरनगर में हुआ था। उनके पिता जमींदार थे। गिरिराज जी ने कम उम्र में ही घर छोड़ दिया और स्वतंत्र लेखन किया।