सबसे कम उम्र के सांसद बने थे कमला रावत
जहांगीराबाद थाना क्षेत्र के मुजफ्फरपुर गांव में 06 जुलाई 1954 को जन्मे कमला रावत ने जवाहर डिग्री कॉलेज से बीए किया था। सन 80 के दशक में उन्होंने राजनीति में कदम रखा। सन 1984 में कमला ने कांग्रेस के टिकट पर बाराबंकी लोकसभा का चुनाव लड़ा और उस समय सबसे कम उम्र के सांसद होने का गौरव हासिल किया। धीरे-धीरे उनकी पकड़ कांग्रेस में मजबूत होती गई। बाद में जब कांग्रेस में विद्रोह हुआ और राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल ने एक अलग पार्टी बनाई तो कमला उनके साथ चले गए लेकिन वे यहां भी ज्यादा दिन नहीं रहे।
सपा और बसपा में भी रहे कमला
नरेश अग्रवाल से अलग होने के बाद कमला ने जिले के कद्दावर नेता बेनी प्रसाद वर्मा का दामन थाम लिया। कमला रावत को 1996 में सपा ने अपना प्रत्याशी बनाया। चुनाव में कमला विजयी हुए और विधायक बने, लेकिन बेनी बाबू से विवाद हुआ तो उन्होंने सपा छोड़ दी और बसपा का दामन थाम लिया। वर्ष 2002 में बसपा से ये फिर विधायक बने। मायावती सरकार में इन्हें होम्योपैथिक मंत्री बनाया गया।
दूसरी बार बसपा से बने सांसद
वर्ष 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में कमला एक बार फिर बसपा से लोकसभा सांसद बने। खुद सांसद बनने के बाद उन्होंने अपनी पत्नी धर्मी रावत को 2007 में बसपा से विधायक बनवाया। वर्ष 2009 और उसके बाद 2012 में भी वे लोकसभा का चुनाव लड़े लेकिन हार गए। इसके बाद उनके राजनीतिक सितारे गर्दिश में चले गए। वर्ष 2017 के अंत में उन्होंने एक बार फिर सपा का दामन थाम लिया।
कमला प्रसाद का परिवार भी राजनीति में दखल रखता है। पुत्र वेद प्रकाश रावत भी चुनावी ताल ठोंक चुके हैं। वर्तमान में कमला के पुत्र वेद प्रकाश रावत और उनकी बहू लवली रावत जिला पंचायत सदस्य की उम्मीदवार हैं। उनकी किस्मत का फैसला 02 मई को होना है।
काफी समय से थे बीमार
कमला प्रसाद रावत काफी समय से किडनी रोग से पीड़ित थे। उनकी डायलिसिस हो रही थी। पीजीआई में वो भर्ती थे डायलिसिस के बाद वे घर पर आ गए थे। बुधवार को उनकी तबीयत फिर बिगड़ी लिहाजा उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता हुई। पीजीआई में प्रयास करने के बाद भी उनको भर्ती नहीं कराया जा सका, लिहाजा उन्हें मेयो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। उन्हें संक्रमण बढ़ गया था। शुक्रवार को भोर में करीब डेढ़ बजे उनकी सांसें थम गईं।