लखनऊ। घर की बेटियों को अगर परिवार का साथ मिले तो वह दुनिया को अपने कदमों में झुका सकती हैं। ऐसी ही कहानी है खेल की दुनिया में अपना नाम रोशन करने वाली इन होनहार बेटी की। जिन्होंने अपनी लगन और मेहनत से मुकाम हासिल किया और अब भी अपने लक्ष्य को साधने में लगी हुईं है।
पहली बार जब काजल राठौर अम्पायरिंग करने उतरीं तो किसी को यकीन ही नहीं हुआ
राजधानी के क्रिकेट के मैदान में पहली बार जब काजल राठौर अम्पायरिंग करने उतरीं तो किसी को यकीन ही नहीं हुआ। काजल हर बॉल, हर एक्शन पर पैनी नजर रख रही है वह एक लड़की है। यह कोई सामान्य लड़की नहीं, बल्कि क्रिकेट की पहली महिला अंपायर काजल राठौर हैं । काजल को बचपन से लड़कों के साथ खेलते-खेलते कब क्रिकेट खेलने का शौक पैदा हो गया, पता ही नहीं चला। हालांकि पहले यह बेसबॉल खेलती रहीं। काजल ने ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी लेवल पर 13 नेशनल मैच खेले हैं। फिर अचानक से रुख क्रिकेट की ओर हो गया।
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इंटरव्यू में पूछा गया कि क्या लड़कों के मैच में अम्पायरिंग करोगी?
इस बीच लखनऊ क्रिकेट एसोसिएशन की ओर ने अम्पायर एग्जाम का आयोजन किया गया। काजल ने बताया कि सीनियर्स ने अम्पायर एग्जाम में शामिल होने सलाह दी। आवेदन करने वाली मैं अकेली लड़की थी। परीक्षा भी पास कर ली है। इंटरव्यू में पूछा गया कि क्या लड़कों के मैच में अम्पायरिंग करोगी? मैंने कहा कि हां जरूर करूंगी। बस, मेरा सलेक्शन हो गया। अब तक 50 से अधिक मैचों में अम्पायरिंग कर चुकी हूं।
फिलहाल यूपीसीए की परीक्षा क्वालिफाई करना है काजल राठौर का लक्ष्य
काजल पैदाइश लखनऊ में हुई है। वह समाजशास्त्र में एमए और बीपीएड किया है। एक बहन नर्सिंग के क्षेत्र में है, जबकि भाई डांस टीचर है। मां बाल विकस एवं पुष्टाहार विभाग में कार्यरत हैं। आज मैं जो कुछ हूं, मां मंजू राठौर के कारण हूं। फिलहाल यूपीसीए की परीक्षा क्वालिफाई करना है। मेरी राह आसान है, क्योंकि मां के साथ-साथ मुझे लखनऊ क्रिकेट एसोसिएशन के अधिकारियों का सहयोग मिल रहा है। बिना किसी भेदभाव मुझे हर कदम पर प्रोत्साहित किया जाता है।